छत्तीसगढ़

डेयरी उत्पादों और मशीनरी पर जीएसटी वृद्धि : किसान सभा ने कहा — किसानों, उपभोक्ताओं और डेयरी सहकारी समितियों पर हमला, छत्तीसगढ़ के किसान भी होंगे बर्बाद

रायपुर. अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने जीएसटी परिषद द्वारा डेयरी उत्पादों पर 5% तथा मशीनरी पर 12 से 18% जीएसटी लगाने की तीखी निंदा की है तथा इसे किसानों, उपभोक्ताओं और डेयरी सहकारी समितियों को बर्बाद करने वाला और बड़ी पूंजी और इजारेदार घरानों के पक्ष में उठाया गया कदम बताया है।

आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि देश के डेयरी क्षेत्र से 9 करोड़ से अधिक परिवार जुड़े हैं, जिनमें से तीन-चौथाई ग्रामीण परिवारों के पास 2-4 गायें ही हैं। डेयरी उत्पादों और मशीनरी पर जीएसटी बढ़ाने से इन किसानों की आजीविका और इनके पोषण स्तर के साथ ही पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही कीमतों में वृद्धि होने से आर्थिक रूप से कमजोर और उत्पीड़ित वर्गों के लोगों की पोषण संबंधी आवश्यकताएं नकारात्मक रूप से प्रभावित होंगी।

किसान सभा नेताओं ने आरोप लगाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार संविधान में निहित सहकारी संघवाद की अवधारणा पर हमले कर रही है और जीएसटी को इसके लिए हथियार के तौर पर उपयोग में ला रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी में वृद्धि होने से इस क्षेत्र में काम कर रही सहकारी समितियां और मूल्य संवर्धन के काम करने वाली छोटी फर्में व्यय और कार्यशील पूंजी बढ़ने के कारण बड़ी पूंजी का मुकाबला नहीं कर पाने से बर्बाद हो जाएगी। यह राज्यों के अधिकार और उनकी वित्तीय स्वायत्तता पर हमला है और राजनीतिक सत्ता और पूंजी का घृणित केंद्रीकरण है।

किसान सभा नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र के उत्पादन के मूल्य में पशुधन क्षेत्र का योगदान लगभग 23 प्रतिशत है और प्रदेश के 35 लाख परिवारों की आय का बड़ा जरिया दूध और उसके उत्पादों का उत्पादन है। इसका सीधा संबंध घरेलू खाद्य सुरक्षा से है और डेयरी उत्पादों पर जीएसटी इसे खत्म करने का काम करेगी।

किसान सभा ने डेयरी क्षेत्र में जीएसटी वृद्धि को तत्काल वापस लेने की मांग की है। उन्होंने बताया कि किसानों और खेती-किसानी को बर्बाद करने वाली इस नीति के खिलाफ
किसान सभा देश भर के डेयरी किसानों, छोटे उद्यमियों और सहकारी क्षेत्र को एकजुट करके प्रतिरोध आंदोलन विकसित करेगी।

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रायपुर. अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने जीएसटी परिषद द्वारा डेयरी उत्पादों पर 5% तथा मशीनरी पर 12 से 18% जीएसटी लगाने की तीखी निंदा की है तथा इसे किसानों, उपभोक्ताओं और डेयरी सहकारी समितियों को बर्बाद करने वाला और बड़ी पूंजी और इजारेदार घरानों के पक्ष में उठाया गया कदम बताया है।

आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि देश के डेयरी क्षेत्र से 9 करोड़ से अधिक परिवार जुड़े हैं, जिनमें से तीन-चौथाई ग्रामीण परिवारों के पास 2-4 गायें ही हैं। डेयरी उत्पादों और मशीनरी पर जीएसटी बढ़ाने से इन किसानों की आजीविका और इनके पोषण स्तर के साथ ही पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही कीमतों में वृद्धि होने से आर्थिक रूप से कमजोर और उत्पीड़ित वर्गों के लोगों की पोषण संबंधी आवश्यकताएं नकारात्मक रूप से प्रभावित होंगी।

किसान सभा नेताओं ने आरोप लगाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार संविधान में निहित सहकारी संघवाद की अवधारणा पर हमले कर रही है और जीएसटी को इसके लिए हथियार के तौर पर उपयोग में ला रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी में वृद्धि होने से इस क्षेत्र में काम कर रही सहकारी समितियां और मूल्य संवर्धन के काम करने वाली छोटी फर्में व्यय और कार्यशील पूंजी बढ़ने के कारण बड़ी पूंजी का मुकाबला नहीं कर पाने से बर्बाद हो जाएगी। यह राज्यों के अधिकार और उनकी वित्तीय स्वायत्तता पर हमला है और राजनीतिक सत्ता और पूंजी का घृणित केंद्रीकरण है।

किसान सभा नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र के उत्पादन के मूल्य में पशुधन क्षेत्र का योगदान लगभग 23 प्रतिशत है और प्रदेश के 35 लाख परिवारों की आय का बड़ा जरिया दूध और उसके उत्पादों का उत्पादन है। इसका सीधा संबंध घरेलू खाद्य सुरक्षा से है और डेयरी उत्पादों पर जीएसटी इसे खत्म करने का काम करेगी।

किसान सभा ने डेयरी क्षेत्र में जीएसटी वृद्धि को तत्काल वापस लेने की मांग की है। उन्होंने बताया कि किसानों और खेती-किसानी को बर्बाद करने वाली इस नीति के खिलाफ
किसान सभा देश भर के डेयरी किसानों, छोटे उद्यमियों और सहकारी क्षेत्र को एकजुट करके प्रतिरोध आंदोलन विकसित करेगी।

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