वादे से मुकरा NTPC.. प्रभावित ग्रामीण कल 6 दिसंबर को ठप करेंगे राखड़ बांध में काम.. विधायक की उपस्थिति में लोगों को दिया था आश्वासन.

जितेंद्र गुप्ता@कोरबा/कटघोरा। 2600 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की कोरबा परियोजना के धनरास स्थित में फ्लाई ऐश डाइक में 6 दिसंबर को कोई काम नहीं होगा। एनटीपीसी के प्रभावित लोगों ने यहां से जुड़ी हुई समस्या और प्रबंधन की वादाखिलाफी से नाराज होकर सुनिश्चित किया है इस बारे में प्रशासन और प्रबंधन को अवगत करा दिया गया है।
कोरबा जिले के कटघोरा सबडिवीजन के अंतर्गत नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन ने अपना फ्लाई ऐश डाइक स्थापित किया है, जहां पर पावर प्लांट से उत्सर्जित राखड़ पाइपलाइन के माध्यम से पहुंचती है। प्रतिदिन फ्लाई ऐश भंडारण इस स्थान पर होता है और बाद में इसे रोड ट्रांसपोर्ट के जरिए अन्यत्र भिजवाने की व्यवस्था की जाती है। फ्लाई ऐश डाइक से परिवहन की प्रक्रिया के दौरान ग्रामीण क्षेत्र का रास्ता भी पार करना होता है। ऐसे में रास्ते में कई प्रकार की समस्याएं खड़ी हो रही हैं जहां पर बड़ी मात्रा में फ्लाई ऐश के गिरने से वातावरण दूषित हो रहा है। लोगों के घरों के साथ-साथ उनके जल स्रोत से लेकर दैनिक उपयोग का सामान एवं फसल पर बुरा असर पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश युवक कांग्रेस फ्लाई ऐश से जुड़ी हुई इस समस्या को लेकर नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन ( NTPC ) प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर नाराजगी जताने के साथ उनके रवैया को नकारात्मक बताया है। युवा कांग्रेस के नेता प्रदेश महासचिव कोरबा ग्रामीण लक्ष्मीकांत कंवर ने इस बारे में ऐलान किया है कि 6 दिसंबर को धनरास गांव में स्थित एनटीपीसी के फ्लाई ऐश डॉइक में कोई काम नहीं होने दिया जाएगा और ना ही फ्लाई ऐश के ट्रांसपोर्टिंग होने दी जाएगी। ग्रामीणों का आरोप है कि लंबे समय से एनटीपीसी प्रबंधन लोगों के सामाजिक और आर्थिक हितों को लेकर बेकद्री कर रहा है और उन्हें झूठे आश्वासन देने में लगा हुआ है। आखिर हम लोग एनटीपीसी के फायदे के चक्कर में लगातार नुकसान क्यों झेले।
ग्रामीणों ने पूरे मामले में एनटीपीसी प्रबंधन के साथ-साथ प्रशासन के अधिकारियों को निशाने पर लिया है और कहां है कि दूसरों के हितों के चक्कर में ग्रामीण अब शांत नहीं बैठ सकते। इस निर्णय के बारे में सभी संबंधित अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।। दावा किया गया कि धनरास में होने वाले इस आंदोलन में आसपास के प्रभावित ग्रामीण लोग भी शामिल होंगे।