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Rakhi festival: इस बार का बंधन कुछ उदासीनता वाला 

दिवाकर तिवारी@रक्षा बंधन का ये पर्व ( Rakhi festival)  को बहिन भाई के रिश्ते को मजबूत बनाता है।

ये पर्व जो भाई हमेशा अपनी बहिन की रक्षा के लिए अपनी जान तक लूटा देता है ।

जहां भाई अपने बहिन  कि खुशियों के लिए कोसो दूर बैठे भी इस पर्व पर जरूर आता है

ताकि उसकी बहिन उसकी कलाई में एक राखी का वो धागा बांधे को प्रतीक होता है

हर उस भाई की कलाई में को सदैव अपनी बहिन की रक्षा उसकी खुशियों के लिए उसके साथ हमेशा खड़ा हैं

( Rakhi festival)  इस पवित्र रिश्ता का कोई मोल नहीं हैं

जिससे खुदा की रहमतों ने बनाया हो ।

पवित्र रिश्ते का कोई मोल नहीं ।

क्योंकि ये खुद ही एक अनमोल रत्न हैं।

रक्षा बंधन को राखी या सावन के महीने में पड़ने के वजह से श्रावणी व सलोनी भी कहा जाता है।

रक्षाबंधन का इतिहास हिंदू पुराण कथाओं में है।

वामनावतार नामक पौराणिक कथा में रक्षाबंधन का प्रसंग मिलता है।

कथा इस प्रकार है- राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार का प्रयत्न‍‌न किया,

तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु ( Rakhi festival)  से प्रार्थना की।

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विष्णु  वामन ब्राह्मण बनकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए।

गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी।

वामन भगवान ने तीन पग में आकाश-पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया।

उसने अपनी भक्ति के बल पर विष्णु जी से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया।

लक्ष्मी जी इससे चिंतित हो गई।

नारद जी की सलाह पर लक्ष्मी जी बलि के पास गई और रक्षासूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया।

बदले में वे विष्णु जी को अपने साथ ले आई। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी।

महाभारत में भी रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख है।

जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं,

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तब कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी।

शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई,

तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर चीर उनकी उंगली पर बांध दी थी। य

ह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था।

कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था।

रक्षा बंधन के पर्व में परस्पर एक-दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना निहित है।

आज पूरे विश्व में कोरोना का कहर से रिश्तों में  दूरियों का आलम देखने को  मिल रहा है ।

ये ऐसा वायरस हैं जिसने रिश्तों के साथ एक ही घर में रह रहे लोगों में दूरियां पैदा करदी हैं

आज हर एक के मन में एक डर सा बना हैं

घर से निकलने के दौरान वो बार यही विचार अपने मन में करता है कि

कहीं बाहर जाते समय कोई असावधानी ना हो जाए।

इसलिए वो पूरी तरह अपने को सावधान करके घर की सीमा के बाहर कदम रखता है ।

और जरूरी भी हैं क्योंकि जिस तरह से संक्रमण का प्रभाव तेजी से बड़ रहा हैं

उस हिसाब से सभी को  सावधानी एवं सतर्कता से अपना और अपने साथ रहे रहें परिवार का ध्यान रखना चाहिए  ।

लेकिन बात करते हैं ये ऐसा पवित्र बंधन की जिसको रक्षाबंधन का रूप माना जाता हैं ।

ये रिश्ता खुद से ही इतना अनमोल हैं जहां प्यार बांटने की जरूरत नहीं पड़ती ।

जहां भाई खुद अपनी बहिन की रक्षा का ध्यान रखता हैं ।

महामारी के चलते कितने रिश्तों गहरा असर पड़ा है ।

उन पर भी  जो दुर हैं और उन पर भी जो साथ है।

आज हमारे भारत जैसे 130 करोड़ जनसंख्या में कितने भाई बॉर्डर की सीमा में अपने भारत माता की रक्षा के लिए

चौबीस घंटों तेनात रहकर आपने देश वासियों की सुरक्षा करते हैं

आज कितने भाई अपने घरों से दूर रहकर देश विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं और कितनी बहिन अपने भाई के इतंजार के लिए

राखी लेकर उस चौखट पर बैठी आंसू बहा रही हैं कि उसका भाई जरूर आएगा

एक उमीद के साथ जिसने भारत की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी देकर शहीद हो चुके हैं ।

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उस बहिन पर क्या बीत रही होगी

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जिसने हर साल अपने भाई की सुनी कलाई में राखी बांधी हो और

अचानक उसकी मौत की खबर से वो बदहवास हो गई होगी ।

सोचो उस बहिन पर क्या गुजर रही होगी

जिसको इंतजार था कि आने वाले रक्षा बंधन में वो अपने भाई की कलाई में राखी बांधेगी ।

उससे क्या पता था कि वो इतने बड़े हादसे साथ होकर गुजरना पड़ेगा।

हमारे देश के वो बीस शहीद सैनिक जो भारत की रक्षा के लिए कुर्बान हो गई वो भी किसी बहिन  के भाई रहें होंगे ।

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क्या बीत रही होगी उन पर की इस आने वाले रक्षा बंधन में उनकी खरीदी राखी सिर्फ एक बंद लिफाफे कि तरह रहे  जाएगी।

एक तरफ कोरोना जैसे भयावक वायरस ने अपना कहर पूरे विश्व में मचा रखा है  ।

रक्षा बंधन भाई बहिन के रिश्तों का वो अनमोल बंधन हैं ।

ये बंधन ही कुछ ऐसा हैं जिसकी एहमियत केवल एक बहिन ही समझ सकती हैं ।

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ये धागा कोई मामूली धागा नहीं है इस धागे में वो प्यार हैं

वो खुशी हैं जिसका इंतजार हर एक  बहिन को रहते हैं कि ऐसे ना सही लेकिन राखी के पर्व पर उसका भाई जरूर आएगा ।

इसी अनमोल ,प्यारे से बंधन को ही रक्षा का त्यौहार कहा गया हैं

जहां सदैव भाई अपनी बहिन की रक्षा के लिए इस बंधन को निभाता हैं ।

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