रायपुर

Raipur: राजधानी में शीघ्र खुलेगा ‘वैद्य अस्पताल’, वन मंत्री ने कहा- औषधीय पौधों की खेती-किसानों की आय बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण

रायपुर। (Raipur) वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर आज छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड द्वारा आयोजित वेबिनार में वर्चुअल शामिल हुए। उन्होंने वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में औषधीय पौधों के विस्तार की व्यापक संभावनाएं हैं।

उन्होंने यहां राज्य औषधि पादप बोर्ड (State Pharmaceutical Plant Board) द्वारा औषधीय पौधों के कृषिकरण की दिशा में हो रहे प्रयासों की सराहना की और इसे किसानों की आय को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बताया। (Raipur) कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्य वन औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने की। वेबिनार में 130 से अधिक कृषक, भू-स्वामी, सामाजिक संस्था, विद्यार्थी तथा गृहणी इससे जुड़कर लाभ उठाया।

(Raipur) वन मंत्री अकबर (Forest Minister Akbar) ने आगे कहा कि राज्य में औषधीय पौधों की खेती से अन्य फसलों की तुलना में किसानों को अधिक आय की प्राप्ति होगी। इससे राज्य में गुणवत्ता युक्त औषधीय पौधों का उत्पादन भी बढ़ेगा। इस तारतम्य में उन्होंने राज्य सरकार द्वारा हाल ही में लागू मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का जिक्र करते हुए बताया कि इसके तहत इस वर्ष धान के फसल हेतु इनपुट सब्सिडी 9000 रूपए प्रति एकड़ व धान के स्थान पर अन्य फसलों को लगाए जाने हेतु 10000 रूपए प्रति एकड़ तथा वृक्ष प्रजातियों के रोपण हेतु तीन वर्ष हेतु प्रति वर्ष 10000 रूपए इनपुट सब्सिडी प्रति एकड़ दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में धान के अतिरिक्त अन्य फसलों में औषधीय पौधों के रोपण हेतु लोगों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने बोर्ड द्वारा चालू वर्ष के दौरान लगभग एक करोड़ औषधीय पौधों को तैयार कर वितरण के लक्ष्य निर्धारित करने पर खुशी जाहिर किया।

इस अवसर पर राज्य वन औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष पाठक ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पौधों के लिए बहुत उपयुक्त है। बोर्ड द्वारा राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) की मंशा के अनुरूप वन मंत्री अकबर के दिशा-निर्देशन में औषधीय पौधों के विस्तार और परंपरागत वैद्य चिकित्सा प्रणाली को विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत परंपरागत वैद्यों के प्रोत्साहन के लिए राजधानी रायपुर के पण्डरी में जल्द ही ‘वैद्य अस्पताल’ संचालित करने की योजना है।

इससे लोगों को आसानी से इलाज सुविधा का भी लाभ मिलेगा। वेबिनार को प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी तथा प्रांतीय सचिव परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ छत्तीसगढ़ श्री निर्मल कुमार अवस्थी ने भी सम्बोधित किया।

वेबिनार में छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जे.ए. सी एस राव ने विभिन्न औषधीय पौधों के रोपण और इससे प्राप्त होने वाली आय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तुलसी, कालमेघ, ब्राम्ही, भृंगराज, अश्वगंधा एवं बच आदि लघु अवधि वाले औषधीय फसल है, जो 6 से 8 माह में तैयार हो जाती है।

इसी तरह मध्यम अवधि वाले औषधीय फसलों में शतावर एवं सर्पगंधा तथा वृक्ष प्रजातियां वाले औषधीय पौधों में अशोक, वृहद पंचमूल वृक्ष (बेल, अग्निमंथ, पाठर, श्योनाक, गंभारी) आदि शामिल हैं। कार्यक्रम में लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।

Related Articles

Back to top button