
हृदेश केसरी@बिलासपुर। स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो चुकी है। इस बीच लोग घूमने का प्लान बना रहे हैं, लेकिन ट्रेनों की लेटलतीफी की वजह से ये प्लान भी लोगों को कैंसिल करना पड़ रहा है या ट्रेनों के इंतजार में घंटों रेलवे स्टेशन पर इंतजार करना पड़ रहा है। ट्रेनों की लेटलतीफी की सिलसिला कोई नया नहीं है, ये महीनों से इसी तरह चला आ रहा है। लिहाजा अब तक कोई सुधार नहीं हो पाया। बिलासपुर जोन से गुजरने वाली ट्रेनें 8 से 10 घंटे लेट हैं। ट्रेनों की देरी की वजह से जिस स्टेशन पर पैर रखने की जगह नहीं होती थी आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है।
कोरोना के बाद से ट्रेनों का टाइमिंग शेड्यूल बिगड़ चुका है। वहीं रेल प्रशासन का ट्रैक मेंटेनस और अन्य परेशानी बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं। दूसरी ओर बिलासपुर जोन में सिर्फ पटरियों पर लगातार मालगाड़ी दौड़ रही है। वहीं हावड़ा से मुंबई से जाने वाली सारी ट्रेनें घंटों लेट चल रही है। सुबह आने वाली ट्रेनें रात को स्टेशन पर पहुंच रही है। लेकिन इन सब मामलों से रेलवे प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए हैं। रेलवे बोर्ड के दिशा निर्देशों का रेलवे प्रशासन पालन कर रहा है और कुछ भी कहने से बच रहा है।
आपको बता दें कि भारतीय रेलवे भारत का सबसे सस्ता परिवहन है। · रेल परिवहन सड़क परिवहन की तुलना में काफी किफायती है । हर रोज लाखों यात्री एक जगह से दूसरे जगह ट्रेनों से यात्रा करते हैं। यहां तक नौकरी पेशा लोग भी ट्रेनों से ही यात्रा कर अपने कार्यस्थल तक पहुंचते हैं। लेकिन कोरोना के बाद से ट्रेनों का शेड्यूल पूरा बदल चुका है। मेंटेंनस का बहाना कर हर रोज यात्री ट्रेनें रद्द की जा रही या देरी से चलाई जा रही है। जिसका असर रेल यात्रियों पर पड़ रहा है। अब देखना होगा कि रेलवे प्रशासन ट्रेनों की लेटलतीफी को लेकर उचित कदम उठाता है कि ये सिलसिला इसी तरह से चलता रहेगा..ये तो अब आने वाला समय बताएगा..लेकिन ट्रेनों की लेटलतीफी का सीधा असर रेल यात्रियों पर पड़ रहा है…जिसकी वजह से अब रेल यात्रियों में काफी नाराजगी भी जताई जा रही है.