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महोबा से प्रतापगढ़ पहुंचने में सिपाही को लग गए 8 साल, 2014 में महोबा में तैनात सिपाही का प्रतापगढ़ हुआ स्थानान्तरण

लखनऊ। बांदा जिले का रहने वाला प्रेम नारायण पाल जनवरी 2014 में महोबा जनपद में बतौर आरक्षी तैनात था, जहां से उसका स्थानांतरण प्रतापगढ़ के लिए हुआ। लेकिन वह प्रतापगढ़ पुलिस लाइन आमद कराने नहीं पहुंचा। ट्रांसफर के आठ साल बाद अक्टूबर में प्रेमनारायण पाल पुलिस लाइन पहुंचा और आमद कराने की बात आरआई से करने लगा। जिसके पास ट्रांसफर आदेश भी नहीं था, मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस अधीक्षकसतपाल अंतिल ने इस गम्भीर प्रकरण की सीओ लाइन प्रभात कुमार को जांच सौंप दी। जिसके बाद सीओ में बाँदा से लेकर महोबा तक उक्त प्रकरण में जांच पड़ताल की।

इस मामले में पुलिस के सामने बड़ी चुनौती थी कि क्या आठ साल से गायब सिपाही प्रेम नारायण पाल ही ज्वाइनिंग के लिए पहुचा है या कोई और व्यक्ति इस बात का फायदा उठा कर पुलिस में घुसपैठ कर रहा है। इस बाँदा और महोबा पुलिस के साथ ही उक्त सिपाही के गांव तक जांच पड़ताल में जब पुख्ता हो गया कि ज्वाईन करने पहुचा व्यक्ति ही असली प्रेम नरायन पाल है और उसकी सर्विस बुक समेत अन्य साक्ष्य मिल गए तो आज पुलिस अधीक्षक सतपाल एंटिल, अपर पुलिस अधीक्षक विद्यासागर मिश्र, रोहित मिश्र, सीओ सुभाष गौतम व विनय प्रताप साहनी की मौजूदगी में कैमरे के सामने प्रेम नरायन को प्रवेश कराया गया और अफसर के सामने पेश होने के तरीके से सन्तुष्टि के बाद उससे अन्य पूंछतांछ शुरू की गई कि इतने दिन क्यों और कहा था,

इस बाबत प्रेम नारायण ने बताया कि उसका एक्सीडेंट हो गया था और घर मे कोई ऐसा नही था जो इलाज के लिए कही ले जा सके न ही उसके पास धन था जिसके चलते उसकी पत्नी और बुजुर्ग पिता ने घर पर ही देशी इलाज कराया। इलाज के चलते उसके बुजुर्ग मा बाप ने पहले जमीन बेचीं फिर उसने खुद भी जमीन बेचकर इलाज कराया तब बच्चे भी छोटे थे। प्रेम नारायण ने बताया कि वो विभिन्न गायकों की आवाज में गाना भी अच्छा गाता है जिसके चलते कुछ दिन मुम्बई गायन के क्षेत्र में किस्मत आजमाने तानपुरा लेकर पहुचा और 10 हजार में कमरा लिया लेकिन आगे किराया दे पाना सम्भव नहीं हुआ तो वापस लौट आया इस दौरान शेहत में सुधार होता रहा और पूरी तरह से ठीक होने में आठ साल लग गए। हालांकि अभी भी कभी कभी कुछ बाते भूल जाता है।

एसपी ने नौकरी के दौरान उसको क्या क्या पनिशमेंट मिला था इस पर सवाल किया तो उसने बताया कि इलाहाबाद के लालगोपालगंज इलाके में एक पाकिस्तानी उसके कब्जे से भाग गया था।

इस मामले में साथ रहा दरोगा कई बार पीसीओ से उसकी बात कराता रहा और सुरक्षा में तैनात सिपाही विरोध करते रहे इस घटना में मुझे व अन्य सिपाहियों को निलबिंत किया गया था, जबकि दरोगा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था दरोगा जांच में दोषी पाया गया जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया और मुझ समेत सिपाहियों को बहाल कर दिया गया।

अधिकारी जब पूरी तरह से आस्वस्त हो गए कि सामने खुद को प्रेम नरायन पाल बताने वाला वर्दीधारी ही सही सिपाही है तो उसे आमद करने का आदेश जारी किया जबकि आगे की जांच जारी रहेगी।

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