दुष्कर्म का झूठा केस करना पड़ा भारी, कोर्ट ने युवती को सुनाई भयानक सजा, पढ़ें पूरा मामला

झूठे रेप केस में युवक को फंसाने की दोषी पाई गई युवती को बरेली की कोर्ट ने सख्त सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि अनुचित लाभ के लिए महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती। बता दे कि झूठे रेप केस में फंसे एक लड़के को बिना किसी कारण बिना किसी गलती के 4 साल की जेल की सजा मिली। वह भी उस गुनाह के लिए जो उसने किया भी नहीं था। इस बात का पता कभी नहीं लगता यदि युवती अदालत में सुनवाई के दौरान अपनी गवाही से न मुकरती। अब झूठा केस लगाने वाली युवती पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।

क्या है पूरा मामला?

बताया जा रहा है कि 2 सितंबर, 2019 को बारादरी थाने में लड़के पर अपहरण व दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने लड़के को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस पूरे मामले में लड़की ने लड़के पर नशीला प्रसाद खिलाने और दिल्ली ले जाकर कमरे में बंद कर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। बताया जा रहा है कि इस मामले में अदालत में गवाही के दौरान लड़की मुकर गई जिसके बाद अदालत ने लड़के को दोषमुक्त करार दिया।

कोर्ट ने युवती को दी सख्त सजा
इस मामले की हकीकत जब अदालत के सामने आई तो अदालत ने फैसला सुनाते हुए लड़के को दोष मुक्त किया और लड़की को भी उतनी ही सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि जितने दिन की सजा लड़के ने काटी है। उतने ही दिन की सजा लड़की को भी जेल में काटनी होगी। इसके अलावा अदालत ने युवती पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने कहा है कि यदि लड़का जेल के बाहर रहता तो काम मजदूरी करते हुए इतने समय में 5,88000 से अधिक रुपए कमा लेता। इसलिए लड़की से यह रकम वसूल करके लड़के को दी जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो लड़की को 6 महीने की अतिरिक्त सजा भी होगी।

पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं मिलेगी

इस पूरे मामले में झूठी गवाही देने के लिए लड़की पर मुकदमा दर्ज किया गया। मामले में सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने उसे दोषी पाते हुए सजा सुनाई। इस घटना में अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा इस तरह की महिलाओं के कृत्य से वास्तविक पीड़िताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। इस मामले में अदालत ने कहा कि यह समाज के लिए बेहद गंभीर स्थिति है। अपने मकसद की पूर्ति के लिए पुलिस व कोर्ट को माध्यम बनाना आपत्तिजनक है। कोर्ट ने आगे कहा कि अनुचित लाभ के लिए महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती। अदालत ने ये भी कहा कि यह मुकदमा उन महिलाओं के लिए नजीर बनेगा जो पुरुषों से वसूली के लिए झूठे मुकदमे लिखाती हैं।

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