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National: कोरोना को कैसे हराया जाए? पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र

नई दिल्ली। (National) पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह  ने वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जिसमें कोरोना से उपजे परेशानियों को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने पत्र में लिखा कि

 एक वर्ष से भी अधिक समय से विश्व और भारत कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है। बहुत से माता-पिताओं ने अलग-अलग शहरों में रह रहे अपने बच्चों को एक साल से नहीं देखा है। (National) दादा-दादी ने अपने पोतेपोतियों को नहीं देखा है। अध्यापकों ने बच्चों को कक्षा में नहीं देखा है। इस दौरान अनेक लोगों ने अपनी आजीविका के साधन खो दिए और लाखों लोग गरीबी में धकेल दिए गए। इस महामारी की दूसरी लहर, जो आज हम देख रहे हैं, उसके पश्चात लोग चिंतित हैं कि उनका जीवन कब सामान्य होगा।

हमें महामारी से लड़ने के लिए बहुत सी चीजें करनी होंगी, लेकिन इस प्रयास का बड़ा हिस्सा टीकाकरण कार्यक्रम को गति देना होना चाहिए। इस संबंध में मेरे कुछ सुझाव हैं। इन सुझावों को देते हुए, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूँ कि ये सुझाव मैं रचनात्मक सहयोग की भावना के साथ आपके विचारार्थ भेज रहा हूँ, जिस पर मेरा सदैव विश्वास रहा है और जिसका मैंने सदा अनुसरण किया है। 

सर्वप्रथम, केंद्र सरकार को ये बताना चाहिए कि विभिन्न टीका उत्पादकों को टीके की खुराक की आपूर्ति के लिए कितने ‘फर्म आर्डर’ जारी किए गए हैं, जिन्हें उन टीका उत्पादकों द्वारा अगले 6 महीने में आपूर्ति के लिए स्वीकार लिया गया है। यदि इस अवधि के दौरान किसी लक्षित संख्या का हम टीकाकरण करना चाहते हैं तो हमें पहले से ही पर्याप्त टीका खुराकों के लिए ऑर्डर देना होगा ताकि उत्पादक तय कार्यक्रम के अनुसार आपूर्ति कर सकें।

दूसरे, सरकार को बताना चाहिए कि टीकों की यह अपेक्षित आपूर्ति एक पारदर्शी फॉर्मूले के आधार पर राज्यों में कैसे वितरित की जाएगी। केंद्र सरकार आपातकालीन जरूरतों के लिए 10 प्रतिशत खुराक रख सकती है लेकिन इसके अतिरिक्त, संभावित टीकों की उपलब्धता का एक स्पष्ट संकेत राज्यों को होना चाहिए ताकि वे उसके अनुसार टीकाकरण की अपनी योजना बना सकें।

तीसरा, राज्यों को अग्रिम पंक्ति के कामगारों की श्रेणियों को परिभाषित करने के लिए कुछ छूट दी जानी चाहिए, जिन्हें 45 वर्ष से कम आयु के होने पर भी टीका लगाया जा सके। उदाहरण के लिए, राज्य स्कूल शिक्षकों, बस चालकों, तिपहिया वाहन और टैक्सी चालकों, नगर पालिका और पंचायत कर्मचारियों और संभवतः ऐसे वकील जिन्हें अदालतों में हाजिर होना होता है, उन्हें अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के रुप में नामित कर सके। ऐसे में उन्हें 45 वर्ष से कम आयु का होने पर भी टीका दिया जा सकेगा।

चौथा, पिछले कुछ दशकों में सरकारों द्वारा अपनाई गई नीतियों और सशक्त बौद्धिक संपदा संरक्षण के कारण भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक बनकर उभरा है। अधिकतर क्षमता निजी क्षेत्र में है। सार्वजनिक स्वास्थ्य स्थिति में, भारत सरकार को टीका निर्माताओं को धन और अन्य रियायतें देकर उनकी उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के लिए उनकी सहायता करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त मेरा ये मानना है कि यह कानून में अनिवार्य लाइसेंसिंग प्रावधानों को लागू करने का समय है, ताकि अनेक कंपनियां लाइसेंस के तहत टीकों का उत्पादन कर सकें। मुझे याद है कि एचआईवी / एड्स की बीमारी से निपटने के लिए दवाओं के मामले में ऐसा ही किया गया था। जहां तक कोविड -19 महामारी का संबंध है, मैंने पढ़ा है कि इजरायल ने अनिवार्य लाइसेंसिंग प्रावधानों को पहले ही लागू कर दिया है और भारत को भी यह काम बहुत तेजी से करना चाहिए।

पांचवां, टीके की घरेलू आपूर्तियां सीमित होने के मद्देनजर ऐसे किसी टीके को घरेलू परीक्षणों पर जोर दिये बिना आयात करने की अनुमति होनी चाहिए जिन्हें यूरोपीय मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए जैसे किसी विश्वसनीय प्राधिकार ने इस्तेमाल की मंजूरी दे दी हो।हम एक अभूतपूर्व आपात स्थिति से गुजर रहे हैं और मैं समझता हूं कि विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की ढील आपात स्थिति में उचित है। यह छूट एक सीमित अवधि के लिए हो सकती है, जिसके दौरान भारत में पूरक परीक्षण पूरे किये जा सकते हैं। ऐसे सभी टीकों के सभी उपभोक्ताओं को इस संबंध में चेतावनी दी जा सकती है कि इन टीकों को विदेश में संबंधित प्राधिकरण द्वारा दी गई मंजूरी के आधार पर उपयोग करने की अनुमति दी जा रही है।

कोविड 19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में टीकाकरण बढ़ाने के प्रयास अहम होने चाहिए। हमें यह देखने में दिलचस्पी नहीं रखनी चाहिए कि कितने लोगों को टीका लग चुका है, बल्कि आबादी के कितने प्रतिशत का टीकाकरण हो चुका है, यह महत्वपूर्ण है। भारत में अभी केवल आबादी के छोटे से हिस्से का ही टीकाकरण हुआ है। मुझे विश्वास है कि सही नीति के साथ हम इस दिशा में बेहतर तरीके से और बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं।

मुझे उम्मीद है कि सरकार इन सुझावों को तत्काल स्वीकार करेगी और अविलम्ब कार्रवाई करेगी।

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