कबीर धाम(कवर्धा)

Kawardha: पहली बार अपने बैगानी भाषा के पुस्तक पढ़ेगे बैगा बच्चे, 37 स्कूल के क्लास 1 व 2 के बच्चों को वितरित हुई इतने हजार पुस्तकें

संजू गुप्ता@कवर्धा। (Kawardha) स्थानीय स्तर भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने प्रदेश के कई जिलों में भी उनके स्थानीय बोली के आधार पर अनुवाद कराया गया। इसमें कबीरधाम के बैगाओं की बोली बैगानी को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिला में सबसे ज्यादा संख्या में पहाड़ी इलाकों में रहने वाले वनवासी बैगा-आदिवासी की संस्कृति व रहन सहन, भाषा बोली अलग है। (Kawardha) इन लोगों की बोली बैगानी भाषा है, जिसको पढ़ाने और समझाने में शिक्षकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। अधिकारियों को बैगा बोली समझ नहीं आता। जिले के 37 स्कूल के कक्षा पहली व दूसरी के 2546 बैगा बच्चे के लिए बैगा बोली का पुस्तक पढ़ाई करेंगे। बैगा समाज के प्रमुख इतवारी मछिया का कहना है कड़ी मेहनत से बैगानी भाषा के पाठ्यपुस्तक तैयार किए हैं, जिससे बैगा जाति के बच्चों को काफी सहूलियत होगी। (Kawardha) पुस्तक में कहानी, अभ्यास, मुहावरे, गीत, शब्दार्थ, चित्र आदि का बैगा भाषा में अनुवाद किया गया है। बच्चे पढेंग़े ओर विभिन्न प्रकर के कहानी गिनती को जानेंगे समझेंगे।

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एक माह में किया अनुवाद

पंडरिया और बोड़ला ब्लॉक के सदस्यों द्वारा कक्षा पहली और दूसरी के पूरे पाठ्यक्रम को हिंदी से बैगा भाषा में अनुवाद करने के लिए बैगा प्रमुख के लोग शाला संगवारी के लडक़े के सहयोग से बैगानी भाषा में पाठ्यपुस्तक तैयार किया। लगभग एक महीने में पहली और दूसरी कक्षा के पुस्तक तैयार की गई। हिंदी विषय के पाठ्यक्रम को बैगानी बोली में अनुवाद किए। पुस्तक के हिंदी शब्दावली को बैगानी भाषा में बदलकर शब्दावली तैयार कर एनसीईआरटी भेजा गया। वहां से बैगानी भाषा में तैयार होकर जिले के जहां बैगा बच्चे अध्यनरत है वहां पुस्तक नि:शुल्क वितरण किया जा चुका है।

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जिला स्तर की टीम

राजधानी रायपुर से एससीईआरटी द्वारा सभी जिलों के स्थानीय स्तर के भाषाओं पर पाठ्यपुस्तक बनाने के लिए सभी प्रमुखों को डाइट के माध्यम से आमंत्रित किया गया। कबीरधाम में बैगानी भाषा पुस्तक को स्थानीय भाषा में तैयार करने जिला स्तर पर टीम गठित किया। इसमें प्रमुख रूप से डाइट के प्राचार्य टीएन मिश्रा, बैगा प्रमुख इतवारी मछिया और 20 बैगा सदस्य सेमलाल पडिय़ा, गोटूराम बरगिया, बिहारी रथुडिय़ा, शाला संगवारी के करणसिंह निगुठिया, सोनसिह निगुठिया, सन्तोष रथुडिय़ा, बुधलाल कचनरिया, ललित पडिय़ा, सुकल कचनरिया, मानसिंह पडिय़ा, धानसिंह आदि लोग शामिल थे।

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