Kanker: अब ये कैसी मुसीबत! धान की फसल पकने को तैयार, मगर क्यों बढ़ गई किसानों की परेशानी, Video
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प्रसेनजीत साहा@कांकेर। (Kanker) परलकोट क्षेत्र में इन दिनों किसानों के धान का फसल लगभग पकने का समय आ गया है। इस समय धान की खेत में माहु कीटों के हमलों से किसान परेशान हो गये हैं।
दरअसल धान के फसल लगाने से पहले जमीन पर घास मारने की दवाओं का छिड़काव कर धान लगाया जाता हैं मौसम के अनुसार अलग-अलग किट पतंग से धान के बचाव के लिए 20 से 25 दिनों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते हैं। अभी जब लगभग धान की फसल पकने वाले हैं उस पर माहु कीटों के हमले से किसान परेशान हो गये हैं।
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(Kanker) दरअसल माहु कीटों के हमले में धान के फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। माहु कीड़ा धान के बलियों से रस चूस लेते हैं। जिससे धान के भीतर चावल अधूरा ही बन कर रह जाता हैं। धान जहां हर एकड़ भूमि पर 25 से 30 क्विंटल उत्पादन होता हैं. माहु बीमारी लड़ने से यहां उत्पादन आधे से भी ज्यादा कम हो जाता हैं। इन दिनों माहु बीमारियों से धान के फसलों को बचाने किसान तरह-तरह के कीटनाशक दवाओं का छिड़काव खेत में कर रहे हैं।
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(Kanker) किसानों ने बताया कि आर्थिक तंगी के इस समय महंगे कीटनाशक दवाओं की खरीदारी करना महंगा पड़ रहा है। जैसे तैसे पैसों का जुगाड़ कर दवा खरीद कर खेत में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं। साथ ही एक टंकी कीटनाशक दवा का स्प्रे अभी 40 से 50 रुपए मजदूर को देना पड़ रहा है। यानी कि एक एकड़ भूमि पर लगभग 10 टंकी एस्प्रे किया जाता हैं। तो 5 एकड़ भूमि पर 50 टंकी एस्प्रे करना पड़ता है। मजदूरों को ही 2500 रुपए भुगतान देना पड़ता है। कीटनाशक दवाओं का कीमत अलग है वही 5 एकड़ भूमि पर कुल लगभग 10 हजार का आता हैं।
इधर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार किसानों से सम्पूर्ण उत्पादन का आधा ही धान की खरीदारी करते हैं। धान का उत्पादन प्रति एकड़ लभगभग 25 से 30 क्विंटल होता है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार किसानों के धान के फसल को प्रति 15 क्विंटल ही समर्थन मूल्य में खरीदते हैं। बाकी का बचा हुआ धान किसान को कोचियों को बेचना पड़ता है।
किसानों द्वारा धान की सम्पूर्ण उत्पादन का आधा ही खरीदी करते हैं धान का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 25 से 30 जिससे किसानों को प्रति क्विंटल 13 सौ रुपये का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।