Chhattisgarh: केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल कार्यक्रम में किया इंडस बेस्ट मेगा फूड पार्क का शुभारंभ, कहा- किसानों-वनवासियों के हित में निजी क्षेत्र की हर पहल को राज्य सरकार देगी हर संभव मदद

रायपुर। (Chhattisgarh) केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के तिल्दा विकासखण्ड स्थित ग्राम बेमता-सरोरा में निजी क्षेत्र के इंडस बेस्ट मेगा फूड पार्क का शुभारंभ किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित इस कार्यक्रम में केन्द्रीय राज्य मंत्री खाद्य प्रसंस्करण रामेश्वर तेली, छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री कवासी लखमा उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना सहित किसानों और वनवासियों के हित में निजी क्षेत्र द्वारा की जाने वाली हर पहल को राज्य सरकार हर संभव मदद देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि निजी क्षेत्र के उद्यमियों ने छत्तीसगढ़ में साग-सब्जियों और फलों के प्रसंस्करण सम्भावनाओं को परखा है और वे खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपनी भागीदारी तेजी से बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि किसानों को उनके उत्पाद की सही कीमत मिल सके। इसके लिए उपज की सुरक्षा, भण्डारण और प्रसंस्करण के लिए फूड पार्क की एक व्यापक श्रृंखला की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में 110 फूड पार्क स्थापित करने की तैयारी की जा रही है।
इसके लिए जमीनों का चिन्हांकन किया जा चुका है। प्रदेश के प्रत्येक विकासखण्ड में कम से कम एक फूड पार्क की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सभी तरह के फल और सब्जियों का भरपूर उत्पादन होता है। कई बार किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नही मिल पाता। प्रदेश में वनोपजों का भी भरपूर उत्पादन होता है। लेकिन वनोपजों के संग्रहण और प्रसंस्करण की सुव्यवस्थित प्रणाली नहीं होने के कारण कई अवसरों पर संग्राहकों को समुचित आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों और वनवासियों को उनके उत्पादों का सही मूल्य दिलाने के लिए राज्य सरकार ने इन उत्पादों को क्षेत्रवार चिन्हित करके उनके प्रसंस्करण का कार्य शुरू किया है। वनोपजों को संग्रहण करने वाले स्व सहायता समूहों के माध्यम से उनके प्रसंस्करण के लिए वन-धन केन्द्रों की स्थापना की गई है।