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जंगल की रक्षा में मिसाल बने छत्तीसगढ़ के गांव: ग्रामीणों ने बचाई 200 एकड़ हरियाली; खुद के खर्च पर तैनात किए चौकीदार

सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के भैयाथान ब्लॉक की ग्राम पंचायत समौली और करकोटि के ग्रामीण पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बन गए हैं। पिछले 25 वर्षों से ग्रामीणों ने लखनपुर जंगल की रक्षा का बीड़ा उठाया है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और अतिक्रमण से जूझ रहे 200 एकड़ क्षेत्र को उन्होंने हरियाली में बदल दिया है।

गांव के क्षत्रिय पारा और हरिजन पारा के लोगों ने सामूहिक रूप से जंगल की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली। उन्होंने केवल पेड़ों की कटाई रोकने तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि नए पेड़ लगाए और उनकी देखभाल की भी जिम्मेदारी निभाई। आज यह जंगल न केवल पेड़ों का समूह है, बल्कि जीव-जंतुओं, पक्षियों और जैव विविधता से भरा एक सक्रिय पारिस्थितिकी तंत्र बन चुका है।

ग्रामवासी अपने खर्च पर दो चौकीदार रनसाय और जगन्नाथ पंडो की तैनाती करते हैं, जो दिन-रात जंगल की निगरानी करते हैं। इसके बदले में ग्रामीण उन्हें धान देते हैं। दिन के समय ग्रामीण स्वयं भी निगरानी रखते हैं, हालांकि रात की निगरानी में दिक्कतें आती हैं।

नदी के संगम पर जंगल

यह जंगल रेणुका और गोबरी नदी के संगम के पास स्थित है, जिससे इसका पर्यावरणीय महत्व और बढ़ जाता है। यह क्षेत्र स्थानीय जलवायु को संतुलित, मिट्टी के कटाव को रोकने और नदी तटीय पारिस्थितिकी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहा है। समौली और करकोटि के ग्रामीणों का यह समर्पण अब आसपास के गांवों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। यह उदाहरण बताता है कि सामूहिक इच्छाशक्ति और सतत प्रयासों से पर्यावरण की रक्षा संभव है।

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