Video: छत्तीसगढ़ सरकार के कर्ज लेने को लेकर विपक्ष ने की आलोचना, तो मुख्यमंत्री ने दिया करारा जवाब, देखिए
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रायपुर। (Video) छत्तीसगढ़ में सरकार के द्वारा लगातार लिए जा रहे कर्ज को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। प्रदेश कांग्रेस सरकार की तरफ से खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस तरह की आलोचना को गैरजरूरी और अनावश्यक करार दिया है।
(Video) छत्तीसगढ़ सरकार एक के बाद एक लगातार कई कर्ज ले रही है जिसको लेकर विपक्ष में अब सरकार पर निशाना साधा है और इस बार विपक्ष की तरफ से पूर्व मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता बृजमोहन अग्रवाल ने इस मुद्दे को लेकर खड़े अंदाज में आलोचना की है(Video) वहीं दूसरी तरफ कर्ज लेने की आवश्यकता और वजह पर भी सवाल उठाए हैं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की माने तो सरकार कर्ज ले रही है क्योंकि उन्हें लोगों को वेतन देने तक के लिए पैसे नहीं है विकास कार्यों के लिए नहीं बल्कि देने की जरूरत है लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है
सरकार के 15 सालों के कार्यकाल में जितना कर्ज लिया गया मुझे लगता है कि जब तक इनका 5 साल का कार्यकाल समाप्त होगा यह 3 गुना से ज्यादा कर्ज ले चुके होंगे छत्तीसगढ़ के बच्चों से लेकर हर किसान को कर्ज में डुबो देंगे यह सरकार केवल कर जी की सरकार हो गई है और किसी काम की सरकार नहीं है और कर्जा भी किस चीज के लिए जैसे की तनखा बांटने के लिए और कर्जा किस कारण से ले रही है जिनको इंटरव्यू हो गया है जिन को नौकरी दिया जाना है उनके लेकर जा ले रहे हैं एक भी नौजवान को इन्होंने रोजगार नहीं दिया कोई नई बिजली की परियोजना नहीं लाई कोई विकास का काम नहीं किया कोई सिंचाई की योजना नहीं लाई तो फिर आप कर्ज किस लिए ले रहे हैं हमेशा जो कर्ज लिया जाता है वह पूंजीगत व्यय के लिए लिया जाता है परंतु यह सरकार पूंजीगत व्यय के लिए कर्ज लेने के बजाय अपने रोजाना खर्च चलाने के लिए कर्ज ले रही है और यह छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य है।
विपक्ष की आलोचनाओं से हटकर सत्ता पक्ष की तरफ से खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस तरह की आलोचना को गैरजरूरी और अनावश्यक करा दिया इनकी माने तो एक तरफ सरकार जीएसटी के एवज में कर्ज लेने के लिए प्रोत्साहित करती है तो दूसरी तरफ वहीं केंद्र सरकार उनके नुमाइंदे कर लेने पर उनकी आलोचना करता हूं इसे उन्होंने उस कहावत के रूप में देखा है जिसमें कहा जाता है कि “राजा मारे और रोने भी ना दे” एक तरफ केंद्र सरकार कर्ज लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं उनकी तरफ कर लेने पर उनकी आलोचना की जाती है।
भारत सरकार खुद कर्ज लेने के लिए बोल रही है। कहने का मतलब यह है कि जो हमारा जीएसटी का पैसा है भारत सरकार उसके एवज में कर्ज लेने के लिए बोल रही है और यह बीजेपी के नेता श्रीमान कह रहे हैं कर्ज नहीं लेना चाहिए इस शायद इसे ही कहते हैं राजा मारे और रोने भी ना दें। एक तरफ का जाता है कर्ज ले हो और दूसरी तरफ कहा जाता है कर्ज ना लें इन्हें एक मुंह से बात करना चाहिए यह दो मुंह बात कर रहे हैं।