राजनांदगांव

Video: 12 केंद्रों में से 8 हुए बंद, अब आक्रोशित पशुपालकों ने सड़क पर गोबर फेंककर किया चक्काजाम

राजनांदगांव।  (Video) गोधन न्याय योजना के तहत राजनांदगांव शहर में गोबर खरीदी की जोर-शोर से शुरुआत हुई, लेकिन महज कुछ माह बाद ही गोबर खरीदी के लिए शहर में संचालित 12 में से आठ सेंटरों को बंद कर दिया गया है। जिससे आक्रोशित पशुपालकों ने आज सड़क पर गोबर फेंककर चक्का जाम किया।

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(Video) छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना के तहत राजनांदगांव शहर में भी गोबर खरीदी किए जाने के लिए राज्य शासन से चार गौठान स्वीकृत किया गया था, (Video) इस गौठान के माध्यम से गोबर खरीदी की जानी थी, लेकिन नगर निगम के द्वारा शहर में गोबर खरीदी के लिए 12 केंद्र बनाए गए और 12 केंद्रों के द्वारा गोबर खरीदी की जा रही थी। गत वर्ष हरेली पर्व से शुरू हुए इस गोबर खरीदी से अब तक लगभग 1 करोड़ 56 लाख रुपए का भुगतान गौपालकों को किया जा चुका है,

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इसी बीच अब नगर निगम के द्वारा यहां संचालित 12 में से 8 गोबर खरीदी केंद्रों को आनन-फानन में बंद कर दिया गया है। गोबर खरीदी केंद्र के बंद होने से यहां प्रतिदिन गोबर बेचने आ रहे पशुपालकों में आक्रोश की स्थिति निर्मित हो गई है, जिसके चलते आज पशुपालकों ने शहर के इंदिरा नगर चौक के समीप गोबर खरीदी केंद्र के सामने सड़क पर गोबर फेंक कर चक्का जाम कर दिया। पशुपालकों का कहना है कि उन्हें गोबर बेचने अब 3-4 किलोमीटर दूर के खरीदी केंद्र में बुलाया जा रहा है। पशुपालकों ने कहा कि पूर्व की भांति जो खरीदी की व्यवस्था थी वही व्यवस्था लागू रहें, नहीं तो रोज सड़क पर गोबर फेंक कर चले जाएंगे।

2 रूपये किलो की दर से राजनांदगांव शहर के 12 गोबर खरीदी केंद्रों में गोबर की खरीदी की जा रही थी, जबकि शासन से चार सेंटर ही खरीदी के लिए अनुमति दी गई थी। इसके बावजूद 12 सेंटर में खरीदी क्यों की जा रही थी यह एक बड़ा सवाल है, लेकिन 8 गोबर खरीदी केंद्रों में गोबर खरीदी बंद होने से गौ-पालकों को तगड़ा झटका लगा है। 8 गोबर खरीदी केंद्र बंद होने के मामले को लेकर नगर निगम आयुक्त ने कहा कि राज्य शासन से केवल चार गौठान खरीदी के लिए स्वीकृत किया गया था, जिसमें मोहारा, लखोली, रेवाडीह और बजरंगपुर नवागांव शामिल है। क्योंकि योजना का प्रचार प्रसार करना था और पशुपालकों को गोबर बेचने में सुविधा हो इस वजह से अतिरिक्त खरीदी केंद्र बना दिया गया था। आयुक्त ने कहा कि अब इन खरीदी केंद्रों में गोबर रखने जगह नहीं है। इस वजह से इन केंद्रों को बंद करना पड़ा है।

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गोधन  न्याय योजना से गोबर बेचकर कई पशु पालक आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे थे। वहीं पशुधन में भी बढ़ोतरी हो रही थी। कई पशुपालकों ने गोबर बेचकर  कुछ और गाय खरीदी थी, जिससे उन्होंने अपने दूध का व्यवसाय को बढ़ाया था और पशुपालक अपने पशुओं को सड़क पर भी नहीं छोड़ रहे थे, जिससे सड़क पर इर्द-गिर्द गोबर नजर नहीं आ रहा था, वहीं सड़क पर बैठी गाय की वजह से दुर्घटना में भी कमी आई थी। ऐसे में अब गोबर खरीदी केन्द्र बंद होने से पशुपालक अपने पशुओं को सड़क पर छोड़ रहे हैं, अपने चक्काजाम के दौरान पशुपालकों ने कहा है कि पूर्व की वही व्यवस्था वापस नहीं की गई तो वे प्रतिदिन विभिन्न सड़कों पर गोबर फेकेंगे।

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