
बिलासपुर। अरपा नदी में डूबकर तीन बच्चियों की मौत हुई थी। मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरु की है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.प्रकरण की अगली सुनवाई 6 नवम्बर को होगी। डिवीजन बेंच ने इसके पहले 22 अगस्त को सुनवाई के दौरान सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने शासन से पूछा था कि नदी में अवैध खनन रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सिर्फ पेनाल्टी से काम नहीं चलेगा, एफआईआर भी दर्ज कराएं। मुख्य सचिव और खनिज सचिव को इस संदर्भ में शपथपत्र के साथ जवाब देने भी कहा था।
ज्ञात हो कि बीते दिनों सेंदरी के पास अरपा नदी में बने रेत के गड्ढों में डूबकर तीन बच्चियों की मौत हो गई थी। इस मामले में शासन ने 12 लाख का मुआवजा देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है। लोगों में इसे लेकर गुस्सा तो है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है। न तो खनिज विभाग और न ही राजस्व अमला मामले की जांच कर रहा है। हालांकि जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। अब इस मामले को हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है।
इस मामले में सामाजिक संगठन अरपा अर्पण ने भी जनहित याचिका दायर की है। दोनों याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट ने एक साथ करने की बात कही है। जनहित याचिका में अरपा अर्पण की ओर से कहा गया है कि अरपा नदी में अवैध उत्खनन जानलेवा साबित हो रहा है। गर्मी के मौसम में अरपा सूखी रहती है,इसलिए गड्ढे दिख जाते हैं। बारिश में इन गड्डों में पानी भर जाता है, जल भराव के दौरान गड्ढों का पता नहीं चलता। ऐसी स्थिति में अगर बच्चे या फिर मवेशी गड्ढों में समा जाएं तो जानलेवा साबित होता है। रेत उत्खनन में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। याचिका में अरपा के किनारे पौधरोपण करने, अवैध घाटों को बंद करने की भी मांग की गई है।