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इस राज्य में तेजी से पैर पसार रहा ‘स्क्रब टाइफस’, जानिए क्या और कैसे फैलती है ये बीमारी?

पश्चिमी ओडिशा में स्क्रब टाइफस का प्रकोप जारी है। जिले में शुक्रवार को पांच और स्क्रब टाइफस पॉजिटिव मामले सामने आए।सुंदरगढ़ के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) डॉ. कान्हू चरण नायक ने बताया कि ताजा मामलों के साथ, इस साल अब तक सुंदरगढ़ में स्क्रब टाइफस की संख्या बढ़कर 211 हो गई है।

जिले में संक्रमित मरीजों में 10 राज्य के बाहर के और नौ अन्य जिले के हैं।पश्चिमी ओडिशा में घुन-जनित जीवाणु रोग लगातार बढ़ रहा है, जिससे चिंताएं बढ़ गई हैं। तेजी से फैल रही इस संक्रामक बीमारी पर अंकुश लगाना राज्य स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

हालांकि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन लोगों को अत्यधिक संक्रामक बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए कई उपाय कर रहा है, लेकिन संक्रमण दर पर कोई नियंत्रण नहीं दिख रहा है। जिले के ग्रामीण इलाकों में लोग संक्रमण के कारणों को लेकर अंजान नजर आ रहे हैं.कई अन्य जीवाणु रोगों की तरह स्क्रब टाइफस का निदान प्रयोगशाला में सीरोलॉजी और पीसीआर परीक्षणों से किया जा सकता है। इस बीमारी के लिए कोई टीका मौजूद नहीं है, हालांकि, आमतौर पर डॉक्सीसाइक्लिन के साथ एंटीबायोटिक उपचार की सिफारिश की जाती है। 

क्या होता है स्क्रब टाइफस?

खेतों, झाड़ियों में रहने वाले चूहों में पाया जाने वाला चिगर्स कीट के काटने से लोगों में फैलता है। कीट के जरिए ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी (Orientia Tsutsugamushi) बैक्टीरिया के कारण लोगों में ये संक्रमण तेजी से फैलता है। स्क्रब टाइफस से कोई भी संक्रमित हो सकता है। लेकिन, खेतों में पाए जाने वाले इस कीट के कारण अधिकतर झाड़ियों और खेतों में काम करने वाले किसानों और बागवानों में इसके संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।

ये एक बैक्टीरिया से होने वाला इंफेक्शन है जो चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से फैलता है। स्क्रब टाइफस के संक्रमण के ज्यादातर मामले चीन, भारत, जापान, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, साउथ ईस्ट एशिया में ज्यादा देखने को मिलते हैं।

स्क्रब टाइफस के लक्षण?

इस बैक्टीरिया जनित बीमारी पिस्सु के काटने के 10 दिन बाद लक्षण दिखने शुरू होते हैं। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं इससे संक्रमित व्यक्ति को बुखार आने के साथ ठंड लगती है। इसके साथ ही सिरदर्द और बदन दर्द के साथ मांसपेशियों में भी तेजी से दर्द होता है। अधिक संक्रमण होने पर हाथ पैरों और गर्दन के साथ कूल्हें के नीचे गिल्टियां होने लगती हैं। इसके साथ ही इसके संक्रमण के बाद सोचने समझने की क्षमता में तेजी से बदलाव होता है।

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