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Pryagraj: ‘मुर्दों का मोहल्ला’, लाशों से पटा गंगा का किनारा …आँख मूंदे प्रशासनिक अधिकारी

प्रयागराज। (Pryagraj) कोरोना की दूसरी लहर ने मौतों का ताडंव खेला है. बेड और ऑक्सीजन की कमी से अस्पताल के बाहर लोगों ने दम तोड़ा. यहां तक की मुक्ति की अंतिम घंड़ी में परिजनों को शव लेकर अपनी पारी का इंतजार करना पड़ा. ऐसी ही तस्वीर पिछले कुछ दिन से संगम नगरी प्रयागराज से सामने आ रही है. जहां गंगा किनारे सैकड़ों लाशें रेत के नीचे दफन है. ऐसा नजारा सिर्फ यूपी के प्रयागराज से ही नहीं बल्कि प्रदेश के उन्नाव से भी सामने आ चुका है. जहां रेत में कई लाशें दफन हैं. ये मामला ठंडा भी नहीं हुआ…इधर प्रयागराज की हैरान कर देने वाली तस्वीर हमारे सामने आई है. प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं, शायद ये देखकर उनकी आंखे भी नहीं पसीज रही.

 प्रयागराज के फाफामऊ इलाके में गंगा के किनारे घाट की स्थिति ऐसी है कि जहां तक नजर जाती है, बस लाशें ही दिखाई दे रही हैं. इन लाशों को बीते एक से दो महीने के भीतर ही दफनाया गया है. अगर इन लाशों की गिनती की जाए तो इन लाशों की संख्या काफी ज्यादा होगी.

लकड़ियो के पैसे नहीं इसलिए रेत में दफन कर रहे शव

स्थानीय लोगों का कहना है कि लाशों के दफनाये जाने के पीछे वजह यह है कि आसपास के लोग गरीब हैं. उनके पास दाह संस्कार के लिये भी पैसे नहीं होते. ना ही सरकार इनकी सुध लेती है. प्रशासन के जिम्मे जलाने के लिये लकड़ियों का इंतजाम करना होता है पर अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हैं.

प्रशासनिक अधिकारियों का गैर जिम्मेदारान जवाब

प्रशासनिक अधिकारियों से सवाल करो तो उनके पास जवाब देने के लिए वाजिब जवाब तक नहीं है. जिले के डीएम भानु चंद्र गोस्वामी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बात करने से ही मना कर दिया.

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