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SC ने कहा- प्रदूषण कम करने जमीन पर उतरे सरकार

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (SC) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण स्तर कम करने के मद्देनजर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से गठित पांच सदस्यीय प्रवर्तन कार्य बल (इनफोर्समेंट टास्क फोर्स) को शुक्रवार को मंजूर करते हुए केंद्र एवं संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिये कि वे एहतियाती उपायों को लागू करने ‘जमीन’ पर उतरे।

मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने प्रदूषण रोकने के उपायों से संबंधित आयोग की ओर से दाखिल हलाफनामे का संज्ञान लिया। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि दो दिसंबर के शीर्ष अदालत के निर्देशों पर अमल सुनिश्चित करें। इस मामले में अगली सुनवायी अगले शुक्रवार को की जाएगी।

(SC) शीर्ष अदालत ने गुरुवार को केंद्र एवं संबंधित राज्य सरकारों को पटकार लगाते हुए 24 घंटे में ठोस उपाये बताने के निर्देश दिये थे। इसके मद्देनजर आयोग ने हलफनामा दायर कर प्रवर्तन कार्य बल और उड़न दस्ते तैनात करने संबंधी जानकारी आज पीठ को दी।

(SC) पीठ को केंद्र सरकार ने बताया कि पांच सदस्यीय प्रवर्तन कार्य बल बना दिया गया और उड़न दस्तों की संख्या 17 से बढ़ाकर 40 कर दी जाएगी। ये दस्ते मौके पर जाकर वायु प्रदूषण स्तर कम करने के उपायों को अमल कराना सुनिश्चित करेंगे तथा रोजाना कार्यवाही रिपोर्ट प्रवर्तन कार्य बल को देंगे। आयोग ने अदालत को बताया प्रदूषण कम करने के अन्य उपायों के अलावा सीमित संख्या में थर्मल पावर प्लांट चलाये जा रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि आने वाले समय में थर्मल पावर प्लांटों को कहीं और स्थानांतरित करने करने पर विचार करें।

दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील डॉ अभिषेक मनु सिंघवी की गुहार पर कोविड-19 के मद्देनजर अस्पताल भवन निर्माण से संबंधित लंबित कार्यों को पूरा करने की अनुमति दे दी। डॉ. सिंघवी ने अदालती आदेश पर भवन निर्माण संबंधी कार्यों पर रोक का जिक्र करते हुए कहा था कि कोविड के नये रुप के संभावित खतरों के मद्देनजर अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है, लिहाजा निर्माण कार्य की अनुमति दी जाए। अदालत ने आयोग द्वारा जारी सभी दिशानिर्देशों का अमल करने का निर्देश देते हुए दिल्ली सरकार की अर्जी स्वीकार कर ली।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने राज्य में कई क्षेत्रों में प्रदूषण कम होने के दावे करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के चीनी और दुग्ध उद्योगों को प्रदूषण के मद्देनजर हाल के प्रतिबंधों से छूट देने की गुहार अदालत से की। उन्होंने चीनी उद्योग के संबंध में कहा कि अभी गन्ने की पेराई का मौसम और उन पर किसी प्रकार के प्रतिंबध से किसान प्रभावित होंगे। श्री कुमार ने कहा कि आयोग के ताजा निर्देशों के मुताबकि चीनी मिलों को मात्र आठ घंटे ही चलाने की इजाज है, लेकिन बोयलर से जुड़ी कई तकनीकी समस्या हैं। कम समय संचालन की इजाजत की वजह से यह उद्योग बुरी तरह से प्रभावित होगा। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें (उत्तर प्रदेश सरकार) इस मामले को आयोग के समक्ष उठा सकते हैं।

पीठ के समक्ष श्री कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रदूषण फैलाने वाली हवा में कमी आयी। उन्होंने अजीब तर्क पेश करते हुए कहा कि दिल्ली में पाकिस्तान से अपेक्षाकृत अधिक हवा आ रही है। मुख्य न्यायाधीश ने इस तर्क को कोई खास तवज्जो नहीं दी। सिर्फ इतना कहा, “तो आप पाकिस्कतान की उद्यौगिक इकाइयां बंद करवाना चाहते हैं?’’

न्यायमूर्ति रमना ने मीडिया के एक वर्ग में अदालत से जुड़ी खबरों के प्रति असावधानी को गंभीर बताते हुए चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्कूलों को बंद करने का आदेश शीर्ष अदालत ने कभी नहीं दिया। दिल्ली सरकार से सिर्फ यह पूछा था कि स्कूलों को किस आधार पर पुन: खोले गये हैं, लेकिन इसके लिए अदालत को जिम्मेवार ठहराते हुए उसे ‘खलनायक’ की तरह पेश किया गया है। पता नहीं ये सब जानबूझ कर किया जा रहा या अनजाने में।

डॉ. सिंघवी ने भी एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबरों का जिक्र करते हुए कहा कि एक वर्ग द्वारा तथ्यों के आधार रिपोर्टिंग नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि राजीतिक और अदालत संबंधी खबरों की रिर्पोटिंग में एक बड़ा अंतर है। इस बात का ध्यान रखा जान चाहिए।

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने गुरुवार को केंद्र और अन्य संबंधित राज्य सरकारों- को फटकार लगाई थी और चेतावनी देते हुए उन्हें कहा था कि 24 घंटे में कोई ठोस उपायों के साथ अगले दिन सुबह 10 बजे आयें। अन्यथा न्यायालय इस पर शुक्रवार तीन दिसंबर को कोई कठोर आदेश पारित करेगा।

जनहित याचिकाकर्ता 17 वर्षीय छात्र आदित्य दुबे का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने केंद्र द्वारा प्रवर्तन कार्य बल और उड़न दस्तें के गठन से प्रदूषण कम करने के उपायों को लागू करने पर संदेश व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पहले भी कुछ इसी तरह के प्रयास किए गए थे, जिसके परिणाम सकारात्मक नहीं रहे हैं।

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