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दिवाली पर इन 2 शुभ मुहूर्त में करें लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा, खुल जाएगा बंद किस्मत का ताला

प्रकाश का पर्व दिवाली 12 नवंबर को है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों में निहित है कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम लंका नरेश रावण को परास्त कर अयोध्या लौटे थे। इस शुभ अवसर पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर आराध्य भगवान श्रीराम का स्वागत किया था। त्रेता युग से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश समेत कुबेर देव की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो दिवाली के दिन प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही मां लक्ष्मी की विशेष कृपा भी बरसती है। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो दिवाली पर इन 2 शुभ मुहूर्त में धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करें।

सौभाग्य योग
ज्योतिषियों की दिवाली पर सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। सौभाग्य योग में मां लक्ष्मी की उपासना करने से आय, धन और भाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही मां की कृपा भी बरसती है। इस योग का निर्माण दिवाली के दिन संध्याकाल 04 बजकर 25 मिनट से हो रहा है, जो पूर्ण रात्रि है।

प्रदोष काल
दिवाली के दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 29 मिनट से शुरू हो रहा है, जो शाम 08 बजकर 08 मिनट तक है। इस समय में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करना लाभकारी होता है। साधक धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा के भागी बनने के लिए प्रदोष काल में पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा, वृषभ काल में भी लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। वृषभ काल शाम 05 बजकर 39 मिनट से 07 बजकर 35 मिनट तक है।

गोधूलि बेला
ज्योतिष गोधूलि बेला को पूजा के लिए उत्तम मानते हैं और दिवाली पर गोधूलि बेला में लक्ष्मी पूजन करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी धन की देवी की कृपा पाना चाहते हैं, तो दिवाली पर गोधूलि बेला में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें। इस दिन गोधूलि बेला का समय शाम 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 05 बजकर 55 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं।

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