
अनिल गुप्ता@दुर्ग। असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक विजयादशमी का पर्व भारत मे सदियों से मनाया जा रहा हैं। इस अवसर पर रामलीला का सिलसिला भी लगातार चला आ रहा हैं। जब रामलीला की बात हो रही हैं, तो आज हम आपको ऐसे ही एक रामलीला मंडली से मिलाने जा रहे हैं। जिसमे सिर्फ सीता ही नहीं बल्कि, राम लक्ष्मण रावण सहित जितने भी पात्र है, उनका किरदार सिर्फ लड़कियों के द्वारा निभाया जाता हैं। आखिर क्यों खास हैं, इन लड़कियों की रामलीला। देखिए हमारी इस खास पेशकश में।
विजयादशमी के उपलक्ष्य में रामलीला का कार्यक्रम
विजयादशमी के उपलक्ष्य में जब भी रामलीला का कार्यक्रम किया जाता हैं। उसमें माता सीता को छोड़कर जितने भी पात्र होते है। वो अक्सर पुरुष ही होते हैं। लेकिन दुर्ग जिले के ग्राम तर्रा में जब रामलीला का मंचन होता हैं। तो उसमें सभी कलाकार सिर्फ और सिर्फ लड़कियां ही होती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि गांव के लोगों सहित ग्राम पंचायत ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान को बढ़ावा देने के लिए ये अनूठा प्रयास किया है। पिछले तीन वर्षों से गांव की करीब 25 से ज्यादा बच्चियां जब रामलीला का मंचन करती हैं। तो सारा गांव इनके अभिनय को देखने उमड़ पड़ता हैं। इस वर्ष भी कार्यक्रम में किसी तरह की कोई त्रुटि न हो। इसके लिए इन बच्चियों ने अपना रिहर्सल अभी से चालू कर दिया हैं।
15 साल की बच्चियां बेझिझक निभाती है रामायण के किरदार
तर्रा गांव की दस से 15 साल की बच्चियां बेझिझक राम -रावण , रावण-अंगद ,लक्षण- रावण संवाद करती हैं। रामलीला का मंचन करने वाली इन बच्चियों कहना है, कि उनके पालकों की अनुमति और ग्राम पंचायत के लोगो के उत्साहवर्धन से ही वे अपना किरदार सबके सामने आसानी से पूरा कर पाती हैं।
दूसरे गांवों से भी मिल रहा प्रोत्साहन
वही ग्राम पंचायत तर्रा के उपसरपंच नवीन चंद्राकर का कहना हैं, कि पहले वर्ष में तो बच्चियां को तैयार करने में कठिनाई हुई। लेकिन जब उनके द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम को जब दूसरे गांव से प्रोत्साहन मिलने लगा, तो गांव की अन्य लड़कियां भी जुड़ने लगी। अब इनके साज -सज्जा के समान का खर्च पंचायत वहन करती हैं। साथ ही विजयादशमी पर इन बच्चियों को पंचायत द्वारा पुरस्कृत भी बकायदा किया जाता हैं।
गांव के लोग जमकर कर रहे सराहना
कंधे में धनुष और हाथों में गदा और तलवार लिये जब ये बच्चियां रामलीला में संवाद करती हैं। तो गांव के लोग भी इनके लिए तालियां बजाते है। इन बच्चियों को अब दुर्ग भिलाई जैसे शहर से भी कई समितियों द्वारा आमंत्रित किया जा रहा हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन का ये तर्रा गांव अब बेहद खास इसलिए भी बनता जा रहा है, क्योकि बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का जो नारा हैं। वह वास्तविक रूप से यहाँ चरितार्थ होता दिखाई दे रहा हैं।