Chhath Pooja 2020: नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ की शुरूआत, जानिए महत्व और इससे जुड़ी कथाएं

नई दिल्ली। (Chhath Pooja 2020) नहाय खान के साथ आज महापर्व छठ की शुरूआत हो चुकी है. दीवाली त्यौहार के 6 दिन बाद छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है. यह बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी का काफी प्रचलित त्यौहार है. जिसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. (Chhath Pooja 2020) महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए छठ व्रत करती है.
महत्व
(Chhath Pooja 2020) छठ पूजा में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है. चार दिनों के महापर्व छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन व्रती स्नान करके नए कपड़े धारण करती हैं और पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करती हैं. व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के बाकी सदस्य भोजन करते हैं. नहाय-खाय के दिन भोजन करने के बाद व्रती अगले दिन शाम को खरना पूजा (Kharna Puja 2020) करती हैं. इस पूजा में महिलाएं शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं और इसी के साथ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मईया) का आगमन हो जाता है.
छठ से जुड़ी प्रचलित लोक कथाएं
एक मान्यता के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने रावण वध के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की और अगले दिन यानी सप्तमी को उगते सूर्य की पूजा की और आशीर्वाद प्राप्त किया. तभी से छठ मनाने की परंपरा चली आ रही है. एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है. व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशयों के किनारे अराधना करते हैं. इस पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है.