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Jagdalpur: 2 साल प्रदेश बेहाल, 17 से जेसीसीजे छेड़ेगी सरकार के वादा खिलाफी के खिलाफ मुहिम, पत्रकार वार्ता के दौरान कही ये बात

बासकी ठाकुर@जगदलपुर। (Jagdalpur) शहर के आकांक्षा होटल में  जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के द्वारा पत्रकार वार्ता कर अमित जोगी ने पत्रकारों से की चर्चा में उन्होंने बताया कि सामूहिक नेतृत्व पर चलने का वादा करने वाली सरकार एक व्यक्ति-विशेष और उनके द्वारा उपकृत कुछ लोगों पर केंद्रित हो गयी।(Jagdalpur)  मंत्रियों और अधिकारियों के हाथ बांध दिए गए और छोटे से बड़े ठेके और चपरासी से लेकर चीफ़ सेक्रेटेरी के ट्रान्स्फ़र पर उन्होंने अपना एकाधिकार स्थापित कर दिया है। जितने कुल ट्रान्स्फ़र विगत 18 सालों में नहीं हुए (रेट ओफ़ रोटेशन (वर्ग 1)- 11%), उस से कहीं ज़्यादा ट्रान्स्फ़र 2 सालों में हो चुके हैं (रेट ओफ़ रोटेशन- 59%)।

(Jagdalpur) शराब, रेत, कोयला और लौह-अयस्क के ठेकों में पारदर्शिता को समाप्त करके अपने मनपसंद लोगों को उपकृत किया जा रहा है। GST और आबकारी टैक्स के समकक्ष एक समान्तर ग़ैर-क़ानूनी टैक्स प्रणाली स्थापित हो चुकी है जो क़ानूनी टैक्स प्रणाली से कहीं ज़्यादा प्रभावशील है। 50% शराब और 75% रेत की बिक्री ब्लैक में होती है, जिसका पूरा पैसा समान्तर ग़ैर-क़ानूनी टैक्स के रूप में वसूला जाता है। इसके साथ, सट्टा, ड्रग्स जैसे ग़ैर-क़ानूनी धंधों के भी बेरोकटोक संचालन के लिए चुनिंदा लोगों को अनाधिकृति रूप से अधिकृत कर दिया है। अधिकारियों को सख़्त निर्देश है कि इनके ख़िलाफ़ कार्यवाही करना तो दूर, देखना भी माना है।

छत्तीसगढ़ के 2018 के अभूतपूर्व और ऐतिहासिक जनादेश की बुनियाद कांग्रेस का जन-घोषणा पत्र था। इस घोषणा पत्र में तथाकथित तौर पर सोच-समझ के कुल 33 बड़े वादे किए गए थे। वादे पूरे करने की समयसीमा भी निर्धारित की गई थी।

पेन्शन की जगह टेन्शन

भत्ता की जगह धक्का

पट्टा की जगह सट्टा

शराबबंदी की जगह शराबमंडी

नियमितिकरण की जगह सस्पेन्शन

नौकरी की जगह लाठी

क़र्ज़-मुक्त की जगह क़र्ज़-युक्त छत्तीसगढ़

मैं मानता हूँ कि स्थितियों का बेक़ाबू होने के दो प्रमुख कारण हैं:

पहला, छत्तीसगढ़ सरकार पर पूरी कांग्रेस पार्टी का पोषण का भार आ गया है।

दूसरा, राज्य में विपक्ष की संगठनात्मक और सैद्धांतिक कमजोरी रही है। इस कमी को हमें दूर करना है। आज से 17 तारीख़ तक JCCJ वादा-निभाओ कार्यक्रम के माध्यम से रोज़ सरकार की वादा-खिलाफी के मुद्दों का विस्तार से सोशल मीडिया, नुक्कड़ सभाओं और ज्ञापनों के माध्यम से खुलासा करेगी। 17 तारीख़ को सभी ज़िला मुख्यालयों में काला-दिवस के रूप में एक दिवस धरना दिया जाएगा।

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