गरियाबंद

Gariyaband: 9 सालों की मेहनत, और बंजर भूमि को बना दिया उपजाऊ, अब सब्जियों, फसलों के साथ मसालों की खेती भी शुरू

रवि तिवारी@देवभोग। (Gariyaband) कहते है कि जहां चाह होती है,वहां राह होती है। जी हाँ इन कहावतों को हकीकत में सच कर दिखाया है देवभोग के रहने वाले शिक्षक अवनीश शरण पात्र ने। अवनीश ने 9 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद एक बंजर जमीन को उपजाऊ जमीन में तब्दील कर दिया है। (Gariyaband) वही आज उस उपजाऊ जमीन में अवनीश हर तरह की फसल ले रहे है। 7 एकड़ के इस जमीन में अवनीश शरण ने हर तरह के फलदार वृक्ष, मौसमी सब्जियां और मसालों की खेती कर साबित कर दिया है कि यदि व्यक्ति किसी चीज़ को लगन से करे,तो कुछ भी असंभव नही है।

अवनीश ने अपने अनुभव खबर छत्तीसी से शेयर करते हुए बताया कि आज से 9 साल पहले ये जमीन पूरी तरह से बंजर थी,जब उन्होंने यहां खेती करने की सोची तो लोग उन पर कटाक्ष करते हुये यहां किसी भी तरह की खेती हो पाना असंभव बताते थे। शुरुआत चार साल अवनीश को बहुत ज्यादा परेशानी हुई। उनके लगाए गए पौधे भी मुरझाते हुए सुख जाते थे।

(Gariyaband) इसके बाद भी अवनिश का हौसला नही डगमगाया,इसके बाद उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर काम करना शुरू किया और आज पूरी तरह से सफल है। यहां बताना लाज़मी होगा कि आज अवनिश के सात एकड़ की जमीन को देखा जाए तो चारों और हरियाली ही हरियाली नज़र आती है। एक समय में जमीन को लेकर जो कटाक्ष किया करते थे,आज वे अवनिश से कृषि कार्य के संबंध में सलाह लेने आते है।

गोबर खाद रहा प्रमुख हथियार

 पेशे से शिक्षक अवनिश पात्र बताते है कि शुरवात के 4 साल में वे बहुत ज्यादा परेसान हो गए। गहनामुड़ा की जमीन की मिट्टी अम्लीय होने के कारण उस पर पानी का जमाव हो जाता था। ऐसे में इंद्रा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से मिले सलाह के मुताबिक अवनिश ने सबसे पौधों में डाले गए मिट्टी को बदला,इसके बाद गोबर खाद का ज्यादा प्रयोग किया। लगातार 2 वर्षों तक किये गए गोबर खाद के प्रयोग से उनकी मेहनत ने रंग लाना शुरू कर दिया। आज अवनिश के द्वारा उनके जमीन पर की गई हर तरह की खेती पूरी तरह सफल है।

मसालों की खेती कर कर रहे नया प्रयोग

अवनिश ने खबर छत्तीसी को बताया कि वे अभी उनके जमीन पर इस साल से मसालों की खेती भी प्रयोग के लिए कर रहे है। पात्र ने बताया कि वे अभी प्याज,लहसुन,अदरक,हल्दी,सौफ,अजवाइन,जीरा के साथ ही मेथी की खेती कर रहे है। अवनीश ने बताया कि मसालों की खेती का ये उनका पहला साल है,यदि इस साल ये खेती उनका सफल रहा तो आने वाले दिनों में वे बड़े स्तर पर मसालों की खेती करना शुरू कर देंगे।

आम के 15 किस्म की प्रजाति मिलेगी उद्यान में

अवनीश के इस सात एकड़ के उद्यान में आपको आम की 15 किस्म की प्रजाति भी मिल जाएगी, अवनिश शरण ने बताया कि बेगनफल्ली,तोतापरी,दशहरी,

लांगड़ा,आम्रपाली, बॉम्बेग्रीन,अल्फांसो,मालिका, नीलम के साथ ही 15 किस्म की आम के वृक्ष भी अवनिश ने अपने बगिया में लगाये है। अवनिश कहते है कि वे क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे है। वे कहते है कि यहां के किसान मुख्य रूप से दलहन,तिलहन,धान और मक्के का फसल लेते है। ऐसे में यदि किसान उद्यानिकी फसल भी लेते है तो ये उनके आय का भी जरिया बन सकता है।

हर दिन सात घंटे का अथक परिश्रम

पेशे से शिक्षक अवनिश अपने ड्यूटी के प्रति जितने गम्भीर है,उतने ही वे अपने उद्यान के प्रति भी गम्भीर है। अवनिश हर रोज सुबह 6 से 9 बजे तक पूरे बगिया में घूमकर खुद पानी डालकर रखरखाव करते है। इसके बाद शाम को भी 5 बजे से देर शाम तक समय देते है। पात्र बताते है कि वे हर रोज खुद पूरे उद्यान को घूमकर निरीक्षण करते है। वही अभी भी वे गोबर खाद का उपयोग करते हुए काम कर रहे है।

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