
संदेश गुप्ता@धमतरी. जिले के पुलिस थाने-थाने धीरे धीरे कबाड़खाने बनते जा रहे हैं. हादसे, चोरी, स्मगलिंग जैसे मामलों में जब्त वाहनों का बरसो से निराकरण नही हो सका. आठों काल बारहों महीने खुले में पड़े पड़े लाखो की संपत्ति कबाड़ में बदल गई है।
जी हां धमतरी के पुलिस थानों में अंंदर जाकर देखे तो… मन मे सवाल उठता है. ये थाना है या कबाड़ खाना.. ये जो जैसा कबाड़ दिख रहा है ये सब वो गाड़िया है जो हादसे या किसी अपराध में उपयोग की गई.. और पुलिस ने इन्हें जब्त किया था. इनके मुकदमे अदालतों में चल रहे है. जब मुकदमे का फैसला होगा. उस दिन इन गाड़ियों के भविष्य का भी फैसला होगा कि इन्हें किसी के सुपुर्द करना है या..राजसात करना है… और उन फैसलों के इंतजार इतना लंबा हो चुका है…. कि अब ये गाड़िया, सिर्फ कबाड़ रह गई है. जब इन वाहनों को जब जब्त किया गया. तब ये या तो एकदम नई थी या चालू हालत में थी.
आज अगर इस हालत में उनके मालिक को सुपुर्द भी कर दी जाए तो वो शायद इन्हें ले भी नही नही. बस इसी तरह थानों में ऐसी गाड़ियों का जखीरा जमा होता जा रहा है. अब तो थानों में जगह भी नही बची है, तो छतों में इन्हें रखना पड़ रहा है. ऐसा ही चलता रहा तो कुछ दिनों में छतों में भी जगह नही बचेगी. तो आखिर इस स्थिति के लिए किसे जिम्मेदार ठहराए. किस कारण से लाखों की संपत्ति कबाड़ में बदल गई
वकीलों के मुताबिक ये पुलिस विभाग की लापरवाही है.. वकीलों का कहना है कि, पुलिस कोर्ट में आवेदन लगा कर, ऐसे वाहनों की सुपुर्दगी या डिस्पोजल की अनुमति ले सकती है.. जिस से ये समस्या खत्म भले न हो पर आधी जरूर हो जाएगी।
वहीं धमतरी पुलिस की सुने पुलिस कह रही है कि,… ज्यादातर मामले कोर्ट में पेंडिंग है उनका फैसला होने तक कुछ नही किया जा सकता।
ये तो समझ आ रहा है कि, इस मामले में किसी एक संस्था को जिम्मेदार ठहराना सम्भव नही है.. लेकिन ये समझ नही आता कि इस तरह से लाखों की संपत्तियों के कबाड़ में बदलने का सिलसिला कभी खत्म होगा या नही।