
प्रदीप देवांगन@बिलाईगढ़। मुख्यालय के ग्राम पंचायत देवरबोड़ में गरीबों के चावल में डांका डाल गबन करने का मामला सामने आया है। जहां शिकायत के बाद भी गबन करने वाले व्यक्ति पर कार्यवाही नहीं किया जा रहा और ना ही राशनकार्ड धारी को उनका चावल दिलाया जा रहा।।
दरसल देवरबोड़ के ग्रामीणों की माने तो शासकीय उचित मूल्य की दुकान का संचालन. जागृति महिला स्व.सहायता समूह द्वारा किया जा रहा था। जिसमें राशनकार्ड हितग्राहियों को समूह के ही व्यक्ति हरीशचंद द्वारा खाद्यान वितरण किया जाता था । जिनके द्वारा सितंबर माह का चावल देने का हवाला देकर इपीओएस मशीन में राशनकार्ड धारियों से फिंगरप्रिंट ले लिया और चावल नहीं दिया गया। साथ ही राशनकार्ड धारियों के राशनकार्ड में समान देना हैं अंकित कर दिया गया।
सबसे बड़ी और हैरान करने वाला बात यह है कि देवरबोड़ के सरपंच के राशनकार्ड का भी चावल गबन कर दिया गया है। कई बार ग्रामीणों द्वारा हरीशचंद को चावल वितरण करने भी बोला गया. बावजूद हितग्राहियों को चावल वितरण नहीं किया गया। जिसके बाद सभी हितग्राही शिकायत करने एसडीएम कार्यालय पहुंचे और जाँच करने की मांग की। ग्रामीणों की मांग पर एसडीएम ने टीम गठित कर 17 अक्टूबर को जांच करने देवरबोड़ रवाना किया। जहां जांच में चावल 295.07 क्विंटल,, नमक 11.53 क्विंटल और शक्कर 10.31क्विंटल का अवैध गबन करना पाया गया।
जिसके बाद आगे एसडीएम कार्यालय द्वारा 18 अक्टूबर को समुह के अध्यक्ष माहेश्वरी भारद्वाज को 2 दिन के भीतर अपनी स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने नोटिस जारी किया गया है। अब इस मामलें में अधिकारियों को कार्यवाही करते महीनों बीत गया. परंतु देवरबोड़ के राशनकार्ड धारियों को अब तक चावल दिलाने कोई पहल नहीं किया गया और न ही गबन करने वाले व्यक्ति पर अब तक किसी प्रकार का कोई कार्यवाही नहीं की गई।
वहीं दूसरी ओर मामलें में जब मीडिया टीम एसडीएम कार्यालय प हुंची और एसडीएम के एल सोरी से जानकारी हासिल किया .एसडीएम द्वारा मामलें में मीडिया को गोल-मोल जवाब दिया गया और फूड इंस्पेक्टर का जवाबदारी बताकर अपना पलड़ा झाड़ लिया गया। जिसके बाद आगे एसडीएम कार्यालय के ही कर्मचारी के मोबाईल से फूडइंस्पेक्टर प्रह्लाद राठौर से मीडिया टीम को बात कराई गई। फूड इंस्पेक्टर द्वारा मीडिया को भी विभागीय प्रक्रिया द्वारा कार्यवाही करने का हवाला देकर उल्टे गबन करने वाले व्यक्ति से ही बात कर लेने का हवाला दे दिया। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस तरह का जवाब आना/मिलना…क्या समझा जाए….जो समझ से परे हैं।