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Dussehra 2020: आखिर क्यों रावण दहन के बाद खाया जाता है पान?…जानिए इसे जुड़ी परंपरा

(Dussehra 2020)  दशहरा यानी की विजयादशमी पर पान खाने की परंपरा तो हम सभी निभाते हैं। पान को मान और सम्मान का भी प्रतीक माना गया है। (Dussehra 2020)  लेकिन क्‍या आपको पता है कि अरसे से चली आ रही इस परंपरा का अर्थ क्‍या है? आखिर क्‍यों रावण दहन के बाद पान खाया जाता है?

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पान खाने का है यह महत्‍व

(Dussehra 2020)  पान का प्रयोग पूजा-पाठ, कथा और अन्‍य सभी शुभ कार्यों में किया जाता है। यही वजह है कि नवरात्रि पूजन के दौरान भी मां को पान-सुपारी चढ़ाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के समय मौसम बदल रहा होता है। इस समय संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में पान खाने की यह परंपरा रोगों से लड़ने की भी क्षमता विकसित करती है।

व्रतियों के लिए लाभकारी है पान

नवरात्रि पर नौ दिनों तक लोग व्रत रखते हैं। जिसके कारण उनकी पाचन की क्रिया प्रभावित होती है। पान का पत्ता पाचन की क्रिया को सामान्य बनाए रखता है। इसलिए दशहरे पर पान खाया जाता है।

पवनसुत को अत्यंत प्रिय है पान

मान्‍यता है कि हनुमानजी को भी पान अत्‍यंत प्र‍िय है। पान को विजय का भी प्रतीक माना गया है। पान का बीड़ा शब्द का एक अर्थ यह भी है कि इस दिन हम सही रास्ते पर चलने का बीड़ा उठाते हैं। दशहरे पर रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाने का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि दशहरे पर पान खाकर लोग असत्य पर सत्य की जीत की खुशी मनाते हैं।

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