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Corona: अगर कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन आया भारत तो क्या होंगे हालात? जानिए

नई दिल्ली। (Corona) कोरोना का नया स्ट्रेन यूरोपीय देशों समेत दुनियाभर के 16 देशों में पैर पसारना शुरू कर दिया है. वैज्ञानिकों की मानें तो कोरोना का नया स्ट्रेन 70 फीसदी अधिक खतरनाक है. अगर बात करें भारत की तो यूरोपीय देशों से आने वाले यात्रियों की संख्या यहां भी अधिक है. लंदन और यूरोपीय देशों से आने वाले यात्रियों की कोराना जांच की जा रही है. (Corona) लंदन जाने वाली सारी फ्लाइट को संस्पेंड कर दिया गया है.

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(Corona) अगर बात करें भारत की तो यहां कोरोना के कुल टोटल केस 1.02 करोड़ हैं. जबकि इस खतरनाक वायरस 1.47 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. अब अगर ब्रिटेन और नाइजीरिया में मिले कोरोना के दो अलग-अलग स्ट्रेन भारत पहुंचते है तो हालात क्या होंगे. लेकिन अभी यह कह पाना मुश्किल है कि इसके क्या नतीजे होंगे. लेकिन इन देशों में फैले संक्रमण से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना का नया स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक होगा.

जानिए अगर कोरोना का नया स्ट्रेन भारत आता है तो क्या होगा?

भारत में 1 करोड़ से ज्यादा मरीज है, लेकिन जीनोम सिक्वेंसिग यहां 5 हजार से कम की है. यानी कि 0.05 फीसदी. जबकि ब्रिटेन में कोरोना के कुल 2.20 लाख कोरोना मरीज है. ब्रिटेन में 6 फीसदी से ज्यादा जीनोम सिक्वेंसिग की है. दक्षिण अफ्रीका जहां पर कोरोना का नया स्ट्रेन मिला है, वहां पर भी 0.3 फीसदी जीनोम सिक्वेंसिंग की गई है. अमेरिका में भी यही स्तर बनाकर रखा गया है.

भारत में कोरोना के नए स्ट्रेन की पहचान करना मुश्किल

भारत में यूरोपीय देशों से हेल्थ केयर में अब भी काफी पीछे हैं. अगर कोरोना का नया स्ट्रेन भारत आएगा तो उसकी पहचान करना मुश्किल है. ग्रामीण क्षेत्र की हेल्थकेयर सुविधाएं काफी कमजोर हैं. देश में जीनोम सिक्वेंसिग करने के लिए इतनी प्रयोगशालाएं नहीं है. इसका मतलब ये है कि भारत में जितनी भी जीनोम सिक्वेंसिंग हुई है वह शहरी इलाकों से जुटाए गए सैंपल्स से की गई हैं

भारत में कुपोषण अधिक

अगर एक्सपर्टस की माने तो भारत में कुपोषण दर काफी अधिक है. भारत में कई ऐसे लोग जिनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हैं. ऐसे स्थिति में कोरोना का नया स्ट्रेन इन्हें चपेट कर लेता है तो उनके शरीर में संक्रमण काफी समय तक रह सकता है. अगर बात करें स्वस्थ इंसान की तो इनके शरीर में कोरोना वायरस दो से तीन हफ्ते रह सकता है. लेकिन कमजोर इंसान में यह 4 महीने तक, जो कि काफी घातक है.

ज्यादा दिन तक इलाज चलना भी मुश्किल

भारत में ज्यादातर कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज प्लाजमा थैरपी या रेमडेसिविर दवाईयां से हुआ.ज्यादा समय तक अगर ये दवाएं या ट्रीटमेंट चलते रहे तो कोरोना वायरस अपना स्वरूप बदलने का मौका मिल जाएगा. या यूं कहें कि यह म्यूटेट हो जाएगा. ऐसे म्यूटेटेड कोरोनावायरस यानी नए स्ट्रेन पर कोरोनावायरस के लिए बनाए गए वैक्सीन का असर कितना होगा यह कह पाना मुश्किल है.

हालात हो जाएंगे काफी खराब

अगर भारत में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन आता है तो संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ेगी. इनकी संख्या बढ़ेगी तो गंभीर मामले भी सामने आएंगे. गंभीर मामलों को संभालने के लिए देश में आईसीयू और अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या कम है. अगर यह ग्रामीण क्षेत्रों में फैलता है तो भारत के लिए काफी चिंता का विषय होगा.

अत्यधिक संक्रामक लेकिन खतरनाक कम

ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन का नाम है B.1.1.7, जो कि अत्यधिक संक्रामक है. लेकिन खतरनाक कम है.

दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के म्यूटेटेड नए स्ट्रेन यानी B.1.1.7 की मौजूदगी सामने आयी है. लेकिन भारत मेंकोई मामले सामने नहीं आए हैं लेकिन भारत में संक्रमण तो तेजी से फैल ही सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोना संक्रमित हर देश अपने यहां मौजूद सभी संक्रमित मरीजों की संख्या का 0.33 फीसदी जीनोम सिक्वेंसिंग कराएगा यानी हर 300 संक्रमित मरीजों में से एक मरीज के वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग. इससे ये पता चलता है कि मरीजों में किस तरह का कोरोनावायरस स्ट्रेन है.

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