Chhattisgarh: आज हमने 60 हजार करोड़ से अधिक के MOU किए: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। (Chhattisgarh) सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि अक्टूबर में केन्द्र सरकार से एक फ़रमान जारी हुआ, जिसमें कोई भी राज्य सरकार फसल की ख़रीदी पर किसानों को बोनस देगी तो अनाज की ख़रीदी नहीं होगी, लेकिन फिर दो साल की छूट मिली. उसी छूट में हमने किसानों को बोनस मिलाकर 2500 रुपए दे दिया.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्र सरकार द्वारा उसना क्वॉलिटी के धान की ख़रीदी से इनकार करने पर किसानों से अरवा क्वॉलिटी के धान उत्पादन की अपील की. हम अधिक धान उत्पादन को देखते हुए धान से एथेनॉल ईंधन बनाना चाहते हैं. इसके साथ ही गन्ना और मक्का से भी एथेनॉल ईंधन बनाना चाहते हैं. लेकिन अनुमति ही नहीं मिल रही है. अनुमति मिल जाती तो हम उत्पादन शुरू कर सकते थे. यदि अनुमति मिल जाये तो हम पिछले वर्ष ही प्लांट लगा देते भारत सरकार पर बोझ कम होता , धान खरीदने का मैंने उद्योगपतियों से कहा हिंदुस्तान के जिन राज्यों में बेस्ट उद्योग नीति है। ले आये उसके पश्चात हमने उद्योग नीति बनाई।
आज हमने 60 हजार करोड़ से अधिक के MOU किये हैं। सबसे पहले लॉक डाउन में अगर उद्योग का पहिया अगर घुमा तो वो छत्तीसगढ़ में। हमने 5 लाख बारदाने की मांग की थी, हमें सिर्फ 1 लाख गठान मिला फिर भी धान खरीदी प्रदेश में निर्बाध रूप से चल रही है।
हमने उद्योगपतियों से चर्चा के बाद 2019-24 की औद्योगिक नीति बनाई. अब तक 150 MOU हो चुके हैं.
हम किसानों का हित करना चाहते हैं लेकिन किसानों के नाम से किसी को बेजा फ़ायदा उठाने भी नहीं दिया जाएगा. डीएपी की कमी पर मुख्यमंत्री ने किसानों, ग्रामीणों को वर्मी कम्पोस्ट अधिक-से-अधिक बनाने की अपील की. हिंदुस्तान बहुलता का देश है. यहाँ का अलग दर्शन है. यही हमारी परम्परा की खूबी है.
हमें समस्याओं के समाधान के लिए सभी प्रकार की चर्चा में शामिल होना चाहिए. लोगों को सुनना चाहिए, असहमति के बावजूद भी उनका सम्मान करना चाहिए. जब सब साथ बैठेंगे तब ही किसी भी समस्या का समाधान निकलेगा.
गौ माता ही पार लगाएगी, मेरा किसान भाइयों से निवेदन है अभी से वर्मी कम्पोस्ट बना कर रखें असहमति का सदैव सम्मान रहा है देश में जब उत्तर प्रदेश में चुनाव होने के बावजूद वहाँ खाद की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कर पाए रहे गांधीवादी रास्ते पर चलकर 16 देश आजाद हुए हैंहमको इस देश में सभी चर्चाओं में भाग लेना चाहिए, सबका सम्मान करना चाहिये.कितने भी शक्तिशाली लोग क्यों न हो आप गांधीवादी विचारों पर चलकर अपनी बातें मनवा सकते हैं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा बात किसानों की है, अर्थव्यवस्था की है बात हम सब की है। एक समय था भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। इंदिरा जी पूरे देश के किसानों का आह्वान किया की हमे खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर होना है। किसानों ने इस चुनौती को स्वीकार कर अनाज के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाया।
भूपेश बघेल ने कहा कि देश में अनाज की कमी को इंदिरा गाँधी ने चुनौती के तौर पर लिया और देश के किसानों ने आह्वान किया कि हमें अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनना होगा. उसके बाद ही कृषि के क्षेत्र क्रांति आयी. वही दौर है जब 1967 में एमएसपी घोषित हुआ.
भूपेश बघेल ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ में धान, कोदो, कुटकी, गन्ना, मक्का सबके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदी के साथ उचित क़ीमत देना शुरू किया.
भूपेश बघेल ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ में धान, कोदो, कुटकी, गन्ना, मक्का के साथ भी वनोपजों की ख़रीदी भी शुरू की, जिसे 7 से बढ़ाकर 52 प्रकार के लघुवनोपजों को शामिल किया. इसके अलावा हमने वनोपजों का वैल्यू एडिशन भी किया.
सरकार के सामने जैसे जनसंख्या समस्या है, वैसे ही अनाज का अधिक उत्पादन भी समस्या बनी।महुआ से पहले सिर्फ शराब बनती थी, आज लड्डू और एनर्जी ड्रिंक बनाये जा रहे. हमने छत्तीसगढ़ में धान, कोदो कुटकी, रागी, लघु वनोपज सबके लिए समर्थन मूल्य निर्धारित किया। पहले बस्तर काजू 50 रुपये में बाहर भेज दिए जाते थे, आज प्रोसेसिंग के कारण 1800 रुपये तक बिक रहा
लोग तीखुर नही जानते थे, आज ड्रिंक्स बनाये जा रहे। महिलाओ को रोजगार मिला, प्रतिदिन 250 से 300 रुपये की आमदनी हो रही। बस्तर काजू के नाम से हमने ब्रांडिंग की
व्यापारियों ने हमसे कहा आपने किसानों के लिए किया, मजदूरों के लिए किया , महिलाओं के लिए किया, हमारे लिए क्या किया। किसान नहीं चाहते थे लेकिन केन्द्र सरकार ने तीन काले क़ानूनों को उन पर लादने की कोशिश की.
भूपेश बघेल-
उद्योग का पहिया तब घूमेगा जब व्यापारी उनसे सामान ख़रीदेंगे और व्यापारी सामान तब बिकेगा जब जनता के जेब में पैसा होगा.
भूपेश बघेल ने कहा कि अर्थव्यवस्था बचाने के लिए जनता के जेब में पैसा डालना पड़ेगा.देश को बचाना है तो उसकी जनता के जेब में पैसा डालना होगा. मैंने कहा मैंने आप लोगों के लिए कुछ नहीं किया , बल्कि आप के ग्राहकों के जेब मे पैसा डाला है. पिछले साल हमने 10 हजार रुपये प्रति एकड़ के रूप में इनपुट सब्सिडी दिया. पहली बार ऐसा फरमान आया कि आपका उसना चावल नहीं खरीदा जाएगा. राइस मिल है उसना के लिए उनका क्या होगा. मैं इस चैनल के माध्यम से किसानों से आग्रह करना चाहता हूँ कि आप अरवाँ क्वालिटी का चावल उत्पादन करें. यहां गन्ना से एथेनॉल बन सकता है , मक्का से बन सकता है, लेकिन धान से एथेनॉल की अनुमति नहीं हमने 10 क्विंटल प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी दी.