छत्तीसगढ़राजनांदगांव

पीडब्ल्यूडी का झोल, अधिकारियों का ठेकेदारों को संरक्षण, पानी एवं देखरेख के अभाव में सूखकर मर गए तीन हजार पौधें, हुआ पाँच लाख का घोटाला

गोवर्धन सिन्हा@डोंगरगढ़। डोंगरगढ़ को धर्म नगरी की संज्ञा प्राप्त करने में वर्षों लगे हैं लेकिन कुछ कथित ठेकेदार द्वारा डोंगरगढ़ का नाम धूमिल करने एवं घोटाला करने में लगे हुए हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं धर्म नगरी डोंगरगढ़ की जहां माता रानी की पहुंच मार्ग मुरमुन्दा से नरेंद्र सॉ मिल तक की सुंदरता बढ़ाने के साथ ही यातायात सुगम हो जिसके लिए सड़क के बीचो बीच डिवाइडर में पौधा लगाया जाना प्रस्तावित हुआ। लगभग 5 लाख की लागत से 7 किलोमीटर तक 4442 पौधा लगाना था लेकिन 2640 ही लगाया गया। 

*आरटीआई से हुआ घोटाले का उजागर*

आरटीआई से प्राप्त एस्टिमेट (प्राक्कलन) के अनुसार बोगनविलिया, चांदनी, कनेर के 3702 पौधे एवं प्लेमेरिया (चंपा) के 200 पौधे, गोल्डन ड्यूरेनटा के 540 नग पौधे, कुल 4442 पौधे लगाए जाने थे। प्राप्त दस्तावेज में साफ-साफ दर्शाया गया है कि कांट्रेक्टर को पौधों को जैविक खाद, सुरक्षा कीटनाशक सहित 4 माह तक देखरेख करना अनिवार्य है। पौधों की देखरेख के लिए शासन द्वारा निर्धारित समय भी जारी किया गया है लेकिन कथित ठेकेदार घोटालेबाज द्वारा कूटरचित तरीके से ₹500000 की राशि को गबन करने के इरादे से न ही मिट्टी गुड़ाई किया, न ही खाद डाला और न ही एक भी बूँद पानी सिंचाई किया गया है। जिसके वजह पौधे मर गए और वर्तमान अवस्था में ज्यों का त्यों डिवाइडर पौधों की हरियाली होने का इंतजार कर रहा है। स्थिति यह है ठेकेदारों द्वारा डोंगरगढ़ का नाम विश्व पटल से धरा पटल पर लाने का कवायद किया जा रहा है आखिर धर्म नगरी में ऐसे भ्रष्टाचारियों को कार्य किस एवज में दिया जाता है। 

*जल्दबाजी में पौधा लगाया गया एक भी दिन पानी नहीं दिया*

मंदिर से नरेंद्र शा मिल के बीच दुकानदारों ने बताया की पौधा बहुत ही कम समय में जल्दी-जल्दी में लगाया गया और रही बात देखरेख की तो आज तक किसी भी तरह देखरेख करते या मिट्टी गुड़ाई करते या खाद डालते नहीं देखा गया और रही बात पानी की, जब से पौधा लगाए हैं तब से आज तक एक भी बूंद पानी नहीं डाला गया है, हम सामने में साक्ष्य हैं।

बहर हाल देखने वाली बात यह है उक्त ठेकेदार सहित भ्रष्टाचार में लिप्त लोक निर्माण विभाग के आला अधिकारी, इंजीनियर पर क्या कार्रवाई किया जाता है या फिर शून्य साबित होगा। जिससे आने वाले समय में और अधिक भ्रष्टाचार किया जा सके और डोंगरगढ़ की विकास की गति को ऐसे ही विराम देते चलेंगे। विकास के नाम पर और अधिक भ्रष्टाचार करेंगे। 

अधिकारियों के जवाब सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे, पहले तो दोनों अधिकारी कुछ कहने से बच रहे थे उसके बाद जो कहे वह केवल हंसी के पात्र थे*

इतनी गर्मी में आदमी का हालत खराब है यह तो छोटे-छोटे पौधे हैं मरेगा ही, पानी डालने के लिए हमारे पास टैंकर नहीं है बरसात में और लगाएंगे। आप ही बताइए आपसे सुझाव चाहते हैं कौन सा पौधा लगाना उचित रहेगा ? जो लंबे समय तक न मरे जीवित रह सके। *

सब इंजीनियर बड़ोनिया ने कहा, नरेंद्र शा मिल से मुरमुंदा तक डिवाइडर में 60% पौधे लगाए गए हैं, जिसमें फूल के पौधे गांव वाले ले गए, कुछ गाय खा गए और रही बात देखरेख की कांट्रेक्टर द्वारा नहीं किया गया यह मैं भी मानता हूँ। अभी पेमेंट रुका हुआ है बरसात में दोबारा उसी ठेकेदार से पौधा लगवाया जाएगा तब बाकी पेमेंट करेंगे। किंतु आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज में कांट्रेक्टर को उनके खाते में पेमेंट जनवरी में पूरा किया जा चुका है।

एक झूठ को बचाने अनेक झूठ का सहारा

एक बात बिलकुल समझ से परे है कि नरेंद्र साँ मिल से प्रज्ञागिरी तक डिवाइडर में ग्रिल व जाली लगा हुआ है, तो पौधे गाय खाएगी कैसे और सब इंजीनियर का जवाब है कि फूल के पौधे गांव वाले ले गए, तो क्या इस बीच में फूल के पौधे नहीं लगाए गए होंगे और गांव वाले यदि ले गए होते तो उनके ठूठ डिवाइडर में कैसे बचे हैं?

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