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सरगुजा-अंबिकापुरछत्तीसगढ़

उचित मानदेय को लेकर देशव्यापी आंदोलन की तैयारी में रसोइया संघ, 27 से 29 नवंबर तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना की तैयारी

शिव शंकर साहनी@अंबिकापुर। स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों द्वारा उचित मानदेय को लेकर देशव्यापी आंदोलन प्रारंभ करने की तैयारी शुरू कर दी गई है, रसोइयों के राष्ट्रीय संगठन द्वारा 27 से 29 नवंबर तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने की तैयारी की जा रही है। संघ की प्रदेश अध्यक्ष यशोदा साहू ने बताया कि वर्ष 1995 में प्रारंभ की गई मध्यान्ह भोजन योजना के प्रारंभ में रसोईयों को 300 रुपये मानदेय मिलता था, जिसे बढ़ाते हुए 15 सौ किया गया था, रसोईयों के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री ने इसमें 300 रुपये की बढ़ोत्तरी की, फिर भी संगठन के पदाधिकारियों द्वारा जाकर मुख्यमंत्री से भेंट करने पर इसमें 200 रुपये का और इजाफा किया गया।

वर्तमान में रसोइयों को छत्तीसगढ़ में दो हजार रुपये मानदेय मिल रहा है, इन्हें स्कूल में 5 से 6 घंटे काम करना पड़ता है। महंगाई के दौर में इतने कम मानदेय से रसोइयों का गुजारा होना मुश्किल है, रसोईया संघ का कहना है कि उन्हें कम से कम 10 हजार रुपये मासिक वेतन प्रदान किया जाना चाहिए। पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा भी रसोइयों को 9182 रुपये देने के लिए कहा जा चुका है, इसके बाद भी उनका मानदेय नहीं बढ़ाया गया।

शिव शंकर साहनी@अंबिकापुर। स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों द्वारा उचित मानदेय को लेकर देशव्यापी आंदोलन प्रारंभ करने की तैयारी शुरू कर दी गई है, रसोइयों के राष्ट्रीय संगठन द्वारा 27 से 29 नवंबर तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने की तैयारी की जा रही है। संघ की प्रदेश अध्यक्ष यशोदा साहू ने बताया कि वर्ष 1995 में प्रारंभ की गई मध्यान्ह भोजन योजना के प्रारंभ में रसोईयों को 300 रुपये मानदेय मिलता था, जिसे बढ़ाते हुए 15 सौ किया गया था, रसोईयों के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री ने इसमें 300 रुपये की बढ़ोत्तरी की, फिर भी संगठन के पदाधिकारियों द्वारा जाकर मुख्यमंत्री से भेंट करने पर इसमें 200 रुपये का और इजाफा किया गया।

वर्तमान में रसोइयों को छत्तीसगढ़ में दो हजार रुपये मानदेय मिल रहा है, इन्हें स्कूल में 5 से 6 घंटे काम करना पड़ता है। महंगाई के दौर में इतने कम मानदेय से रसोइयों का गुजारा होना मुश्किल है, रसोईया संघ का कहना है कि उन्हें कम से कम 10 हजार रुपये मासिक वेतन प्रदान किया जाना चाहिए। पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा भी रसोइयों को 9182 रुपये देने के लिए कहा जा चुका है, इसके बाद भी उनका मानदेय नहीं बढ़ाया गया।

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