दंतेवाड़ा। एस्सार और माओवादियों के बीच पैसे की लेन-देन मामले में कोर्ट ने सोनी सोढ़ी समेत उनके भतीजे लिंगाराम कोड़ोपी, ठेकेदार बीके लाल और एस्सार महाप्रबंधक डीवीसीएस वर्मा को दोषमुक्त कर दिया है. पुलिस ने 4 लोगों को आरोपी बनाया था. पुलिस की कार्रवाई पर NIA की विशेष अदालत के विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार देवांगन, NIA एक्ट/अनुसूचित अपराध ने अपना फैसला सुनाते हुए पुलिस की जब्त बताई गई 15 लाख रुपए राशि ठेकेदार बीके लाला को लौटाने का भी आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
पुलिस के मुताबिक एस्सार कंपनी के तत्कालीन जीएम ने ठेकेदार बी के लाला को 15 लाख रुपए नक्सलियों तक पहुंचाने के लिये दिये थे। जिसके बाद ठेकेदार बीके लाला अपने वाहन में सवार होकर पालनार पहुंचा। यहां ये पैसा सोनी सोरी को दिया जाना था, लेकिन बीके लाला द्वारा सोनी और लिंगाराम को पैसे देने के दौरान पुलिस ने धावा बोल दिया। पुलिस के मुताबिक इस बीच बाजार की भीड़ का फायदा उठाकर सोनी सोरी फरार हो गई। पुलिस ने इस मामले में कुल चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।