
हृदेश केसरी@बिलासपुर। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीणों का इलाज नर्स के द्वारा किया जा रहा है। डॉक्टर स्वास्थ्य केंद्र नहीं पहुंचते हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सभी सरकारी डॉक्टरों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो-दो दिन का ड्यूटी लगाया गया है। मगर सरकारी डॉक्टर अपना क्लीनिक चला रहे हैं। जिसके कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से नदारद रहते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीज को दवाई भी नहीं मिल रही है। स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी मरीज को यह बोल दिया जाता है कि दवाई उपलब्ध नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है कि सभी स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध रहती है। क्या दवाई बाहर बेचा जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामीणों को इलाज का अभाव है। इसलिए ग्रामीण झोला छाप डॉक्टर से इलाज करने में मजबूर है। जब मामला बिगड़ता है तो शहर में प्राइवेट नर्सिंग होम में इलाज करने में ग्रामीण मरीज कर्ज में डूब जाते हैं। जबकि शासन ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज के लिए कई प्रकार की योजना चलती है परंतु यह सब योजना फाइलों तक रह गई है शासन स्वास्थ्य योजना में प्रति वर्ष करोड रुपए खर्च करती है उसके बाद भी ग्रामीणों का इलाज सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है ।