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कांकेर में शीतला मंदिर में आगजनी, दो परिवार लौटे अपने मूल धर्म में

कांकेर। कांकेर जिले के अंतागढ़ ब्लॉक में 19 दिसंबर को शीतला मंदिर में असामाजिक तत्वों ने तोड़फोड़ और आगजनी की घटना को अंजाम दिया। कानागांव स्थित इस मंदिर में देवी-देवताओं के आसन, डांग, डोली और अन्य पूजा सामग्री को आग के हवाले कर दिया गया। घटना की जानकारी मिलते ही सरपंच अजय उइके ने पुलिस को सूचित किया, और मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी गई।

सरपंच ने बताया कि मंदिर में मां शीतला को गांव की मालकिन माना जाता है। उन्होंने आशंका जताई कि वारदात उन लोगों ने की है जो गांव की परंपराओं और देवी-देवताओं को नहीं मानते। ग्रामीणों का संदेह धर्मांतरित व्यक्तियों पर है। यह घटना 18 दिसंबर को आमाबेड़ा क्षेत्र के बड़े तेवड़ा गांव में चर्च में आगजनी और आदिवासी व धर्मांतरित समुदाय के बीच हुई हिंसक झड़प के ठीक दूसरे दिन हुई है।

बड़े तेवड़ा में शव दफनाने को लेकर झड़प हुई थी। आदिवासी समाज ने ईसाइयों को भगाया और चर्च में आग लगा दी। इसके बाद तीन हजार से अधिक की भीड़ आमाबेड़ा पहुंची और वहां भी एक चर्च को आग के हवाले किया गया।

इस हिंसक घटनाओं के बाद ग्राम राजपुर के दो परिवारों ने अपने घर वापसी की। आसमन आंचले और देवलाल आंचले ने औपचारिक रूप से ईसाई धर्म त्यागकर अपने मूल धर्म में लौटने की घोषणा की। उनका कहना है कि स्वास्थ्य कारणों से पहले धर्म परिवर्तन किया गया था, लेकिन अपेक्षित लाभ नहीं मिला। बड़े तेवड़ा की हिंसा और उपजे तनावपूर्ण माहौल ने उन्हें अपने मूल धर्म में लौटने के लिए प्रेरित किया। इस घटना से इलाके में तनाव बढ़ गया है और पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। प्रशासन ने लोगों से संयम बरतने और किसी भी तरह की असामाजिक गतिविधि की सूचना तुरंत देने की अपील की है।

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