सरगुजा-अंबिकापुर

Ambikapur: कभी थी शहर की पहचान, अब किताबों में लगा दीमक, और खंडहर में तब्दील हुआ पुस्तकालय, आखिर कहां है प्रशासन, Video

शिव शंकर साहनी@अंबिकापुर। (Ambikapur) शहर के महामाया चौक स्थिति लगभग 70 वर्ष पुराना पुस्तकालय खंडहर हो चुका है। पुस्तकालय में रखी महंगी किताबें दीमक लगने की वजह से बर्बाद हो गई है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। (Ambikapur) बावजूद इसके नगर निगम पुस्तकालय को जर्जर घोषित करने का इंतजार कर रहा है।

पुरानी धरोहर किसी भी शहर की पहचान होती है। हर किसी का कर्तव्य होता है कि अपने शहर के धरोहर को संभाल कर संजोकर रखा जाये। ताकि यादगार के तौर पर शहर की पहचान बन सके।

(Ambikapur) अंबिकापुर शहर का सबसे पुराना  पुस्तकालय भी किसी धरोहर से कम नहीं है। 70 वर्ष पूर्व महामाया चौक स्थित प्रशासन द्वारा एक पुस्तकालय का निर्माण कराया गया था। ताकि शहर के युवा पुस्तकालय जाकर अपने रुचि अनुसार किताबों को पढ़ सकें।

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अंबिकापुर नगर निगम  निर्माण के बाद यह पुस्तकालय निगम के अधीन हो गया। या यूं कहे  कि 70 वर्ष पुराना पुस्तकालय निगम के भवन में संचालित होने लगा। और इस पुस्तकालय के देख रेख की जिम्मेदारी भी निगम की हो गई। शहर के विकास के साथ निगम क्षेत्र में दो बड़े पुस्तकालय का निर्माण तो कर दिया गया। लेकिन देखरेख के अभाव में शहर के सबसे पुराने पुस्तकालय की हालत दिनों-दिन जर्जर होने लगी।

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निगम का ध्यान भी इस ओर आकर्षित नहीं हुआ। खामियाजा पुस्तकालय में रखी सभी पुस्तकों में दीमक लग गया। और छत की सीलिंग भी धीरे धीरे कर गिरने लगी। निगम की लापरवाही की वजह से यह पुस्तकालय किसी खंडहर से कम नजर नहीं आता है।

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