Raipur: संसदीय सचिव का कलेक्टर को निर्देश, निजी स्कूलों के मनमानी पर कार्रवाई को लेकर कही ये बात, Video
रायपुर। (Raipur) संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने निजी स्कूल संचालकों द्वारा पालकों से ‘नो स्कूल नो पेमेंट’ को लेकर लगातार विरोध के बावजूद मेरी मुर्गी एक टांग का रवैया अपनाए जाने को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी इन निजी स्कूलों का निरीक्षण कर इस बात की जानकारी लें। शासन के मापदंडों के अनुरूप संचालित हो रहा है की नहीं। साथ ही इस बात की भी पड़ताल करें कि सम्पूर्ण लॉकडाउन के बीच इन स्कूलों का विद्यार्थियों के प्रति क्या जवाबदेही रहा है। विस्तृत रिपोर्ट शासन के सम्मुख प्रस्तुत करें। अगर कोई निजी स्कूल किसी विद्यार्थी को ऑनलाईन क्लास से वंचित करता है तो उसकी मान्यता तत्काल निरस्त करें।
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शासन विरोधी है स्कूल का रवैया
(Raipur)विकास उपाध्याय ने निजी स्कूल प्रबंधकों के अड़ियल रवैये को शासन विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी निजी स्कूलों को लेकर सख्ती दिखाएं। अन्यथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर कार्यवाही की जाएगी।
दादागिरी पर उतर आए है निजी स्कूल प्रबंधक
(Raipur)उन्होंने कहा निजी स्कूल प्रबंधक दादागिरी पर उतर आए हैं। ऐसा ही अपने स्कूल स्टॉप के साथ भी कर रहे हैं। स्कूलों में शिक्षक, लाइब्रेरी, भवन, स्टॉफ रूम, खेल मैदान, शौचालय और खासकर विषयवार अलग-अलग लैब और शिक्षक हैं या नहीं, इसकी जांच करने के बाद ही संबद्धता देने का प्रावधान है। मगर इस प्रावधान का टीम के समक्ष डेमो दिखा कर ये निजी स्कूल प्रबंधक मान्यता लेकर शासन के आंख में धूल झोंकने का काम करते रहे हैं।
बड़ी-बड़ी बिल्डिंग दिखाकर पालकों को करते हैं आकर्षित
विकास उपाध्याय ने कहा बड़े बड़े निजी स्कूलों के प्रबंधक दिखावे के लिए बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बना कर पलकों को आकर्षित तो कर लेते हैं। फिर आंतरिक मापदण्ड के नाम पर कुछ नहीं रहता। इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक ही निर्धारित अर्हता नहीं रखते और जो रखते हैं उन्हें आवश्यक वेतन नहीं दिया जाता। इन स्कूलों में बच्चों को शुध्द पेय जल की व्यवस्था तक नहीं रहती। जब इसको लेकर आवाज उठाई जाती है। तब बच्चों को ही प्रताड़ित किया जाता है।
उच्चस्तरीय टीम करें गठित
विकास उपाध्याय ने जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा है कि वह सबसे पहले निजी स्कूलों का आंतरिक मूल्यांकन करने उच्चस्तरीय टीम गठित करें। इस टीम में एक जनप्रतिनिधि को भी सम्मिलित करें। जो इस बात का पता लगाए कि इन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कितनी है। एक क्लास में कितने सेक्शन बनाए गए हैं और एक सेक्शन में कितने बच्चे पढ़ते हैं। सेक्शन के अनुरूप कितने शिक्षक हैं। शिक्षक हैं तो वो नियमित हैं कि नहीं, उनके शैक्षणिक योग्यता क्या है। इन शिक्षकों को मासिक वेतन क्या दिया जाता है। मार्च माह से लेकर जून तक प्रत्येक शिक्षकों की विषयवार शैक्षणिक गतिविधियों में क्या भूमिका थी। इसके अलावा अन्य आवश्यक मापदंड की यथा स्थिति क्या है। स्कूल के प्राचार्य या प्रधानपाठक की क्या योग्यता है, इनका वेतनमान से लेकर विद्यार्थियों के प्रति इनके व्यवहार को लेकर गोपनीय चरित्रावली को लेकर भी रिपोर्ट तैयार की जाए।
विकास उपाध्याय ने कहा शासन स्तर पर जब तक जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रत्येक निजी स्कूलों को पृथक-पृथक से इन तमाम जाँच बिंदुओं पर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता उनको किसी तरह की फीस लेने से रोक लगाने नोटिस भेजा जाए। विकास उपाध्याय ने रायपुर कलेक्टर को भी इस बाबत कड़ाई से कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।