राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जनजातीय समाज प्रमुखों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से की मुलाकात

रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु जनजातीय गौरव दिवस 2025 के उपलक्ष्य में सरगुजा जिले में पीजी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। इस अवसर पर राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, केंद्रीय एवं राज्य मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने जनजातीय समाज प्रमुखों, पीवीटीजी समुदाय के प्रतिनिधियों और जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले सेनानियों के परिवारों से भेंट की। उन्होंने इन सभी के साथ समूह फोटो खिंचवाई और उनके योगदान की सराहना की। राष्ट्रपति ने सोनाखान क्रांति के शहीद वीर नारायण सिंह, परलकोट क्रांति के शहीद गेंदसिंह, झंडा सत्याग्रह के सुकदेव पातर, भूमकाल क्रांति के बन्टु धुरवा, जंगल सत्याग्रह के शहीद रामधीन गोड़, एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजनाथ भगत और माझी राम गोंड़ के परिजनों का सम्मान किया।
इसके अलावा, राष्ट्रपति ने बिरहोर, अबुझमाड़िया, बैगा, पहाड़ी कोरवा, उरांव, नगेशिया, खैरवार, कंवर, नागवंशी, मुरिया, गोंड़, पंडो और चेरवा जनजातियों के प्रमुखों से व्यक्तिगत रूप से सौजन्य भेंट की और उनका कुशलक्षेम जाना।
विशेष रूप से पंडो जनजाति के बसन्त पंडो से मुलाकात के समय राष्ट्रपति ने उनका कुशलक्षेम पूछा और उन्हें शॉल भेंट कर सम्मानित किया। बसन्त पंडो ने बताया कि वर्ष 1952 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उनका नामकरण किया और उन्हें गोद लिया था। इस पर राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि आप मेरे पुत्र के समान हैं और पंडो जनजाति को ‘राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र’ का गौरव प्राप्त है। इस कार्यक्रम ने जनजातीय समाज के योगदान, गौरव और इतिहास को याद करने के साथ ही उनके कल्याण एवं सम्मान की दिशा में नए उत्साह का संचार किया।





