शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए दो विभागों का तालमेल, 2030 तक 100% GER का लक्ष्य

रायपुर7 छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग मिलकर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत 2030 तक राज्य में सकल नामांकन अनुपात (GER) को 100% तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है।
राज्य सरकार ने शिक्षा में स्थानीय भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बीजापुर जिले के प्रयासों की सराहना की है, जहां “शिक्षादूत” के माध्यम से बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई कराई जा रही है। यह पहल न केवल भाषा की जटिलता कम कर रही है, बल्कि बच्चों में सीखने की रुचि भी बढ़ा रही है।
डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई को सशक्त करने के लिए ‘पीएम ई-विद्या’ योजना के तहत डीटीएच के पांच चैनल और यूट्यूब के जरिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। इससे दूरस्थ इलाकों के विद्यार्थियों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो रही है।
राज्य में अब प्रत्येक विद्यार्थी को 12 अंकों का आधार आधारित अपार आईडी (Apar ID) दिया जाएगा। यह आईडी डिजिलॉकर से जुड़ी रहेगी और 31 दिसंबर तक सभी विद्यार्थियों का पंजीयन पूरा करने का लक्ष्य है। इसी माध्यम से छात्रों को छात्रवृत्ति, गणवेश और किताबें वितरित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत सभी शालाओं में सामाजिक अंकेक्षण किया जाएगा और स्कूलों की ग्रेडिंग तय की जाएगी, ताकि सुधार के बिंदु स्पष्ट हों।
इसी अभियान के परिणामस्वरूप शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव दिख रहा है। दंतेवाड़ा जिले में 10वीं बोर्ड परीक्षा के परिणामों में 9.32% की वृद्धि दर्ज की गई है। जिला प्रशासन और शिक्षकों के संयुक्त प्रयास से स्कूलों में बेहतर परिणाम आने लगे हैं।