ChhattisgarhStateNewsछत्तीसगढ़

7 साल साथ रहने के बाद रेप केस दर्ज, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला खारिज किया

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि कोई बालिग महिला लंबे समय तक किसी पुरुष के साथ सहमति से पति-पत्नी की तरह रहती है, तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने रायगढ़ फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा युवक के खिलाफ दिए गए दोष सिद्धि आदेश को निरस्त कर दिया है।

महिला ने रायगढ़ के चक्रधरनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि 2008 में युवक ने शादी का झांसा देकर उसका यौन शोषण किया। वह पहले बिलासपुर में एक NGO में काम करती थी, जहां युवक से मुलाकात हुई थी। आरोपी ने महिला के शराबी पति से अलग होने को कहा और फिर शादी का वादा किया। इसके बाद दोनों ने साथ रहना शुरू किया और तीन बच्चे भी हुए।

2019 में दर्ज हुआ मामला

2019 में युवक ने रायपुर जाने की बात कहकर महिला को छोड़ दिया और फिर लौटकर नहीं आया। जब महिला ने युवक पर दबाव डाला और वह नहीं माना, तो धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत मामला दर्ज किया गया। युवक ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि महिला बालिग थी और उसने स्वयं को आरोपी की पत्नी भी माना था, दस्तावेजों में भी खुद को उसकी पत्नी लिखा। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में रेप केस नहीं बनता, और 3 जुलाई 2021 को ट्रायल कोर्ट का दोष सिद्ध आदेश रद्द कर दिया।

Related Articles

Back to top button