Chhattisgarh

पेट्रोलपंप संचालकों को राहत, जिला प्रशासन अब नहीं कर सकेगा कार्रवाई, अधिसूचना जारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पेट्रोल पंप संचालकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। राज्य सरकार ने पेट्रोल पंप के संचालन के लिए कलेक्टर के फूड लाइसेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है।

अब पेट्रोल पंप संचालकों को न तो नए फूड लाइसेंस की जरूरत होगी और न ही हर साल इसे रिन्यू करने की आवश्यकता होगी। इस फैसले की अधिसूचना राज्य सरकार ने जारी कर दी है, जिससे अब कलेक्टर का हस्तक्षेप भी समाप्त हो गया है।

क्या था मामला

 पेट्रोल पंप संचालकों की लंबे समय से यह मांग थी कि फूड लाइसेंस की अनिवार्यता को खत्म किया जाए। पहले पेट्रोल पंपों को एक्सप्लोसिव लाइसेंस के अलावा फूड लाइसेंस भी बनवाना पड़ता था, जिसे हर साल 4500 रुपये देकर रिन्यू करना होता था। इस प्रक्रिया में जिला प्रशासन का हस्तक्षेप होता था, जिससे वसूली और गड़बड़ियों की शिकायतें आई थीं।   सरकार ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए सख्त कदम उठाया। हाल ही में रायगढ़ में एक महिला निरीक्षक को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था, जो पेट्रोल पंपों में गड़बड़ी की शिकायत को खत्म करने के लिए पैसे ले रही थी। इससे सरकार पर दबाव था कि वह इस व्यवस्था को खत्म करे।

पुराना नियम अब खत्म

 पेट्रोल पंप संचालकों के लिए फूड लाइसेंस की अनिवार्यता अखंड मध्यप्रदेश के समय से थी, जबकि महाराष्ट्र जैसे राज्य में इसे पहले ही खत्म किया जा चुका है। अब छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पुराने नियम को समाप्त कर दिया है और ‘छत्तीसगढ़ मोटर स्पिरिट तथा हाई स्पीड डीजल ऑयल (अनुज्ञापन एवं नियंत्रण) आदेश 1980’ को निरस्त कर दिया है।

नए आदेश के बाद

 अब पेट्रोल पंपों में कोई भी गड़बड़ी या मिलावट की शिकायत होने पर कलेक्टर सीधे कार्रवाई नहीं कर पाएंगे। ग्राहक सीधे पेट्रोलियम कंपनी में शिकायत कर सकेंगे और इसके लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किया जाएगा। हालांकि, पंप संचालकों को अभी भी गुणवत्ता के साथ संचालन करना होगा और किसी भी शिकायत पर कलेक्टर फूड विभाग को जांच का अधिकार दे सकते हैं। पेट्रोल पंप एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय पांडेय ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह नियम अब पेट्रोल पंप संचालकों के लिए राहत का कारण बनेगा।

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