परसा कोल ब्लॉक मामला: राज्य सरकार ने भारत सरकार को लिखा पत्र, इन बातों का किया जिक्र

रायपुर। राज्योत्सव के ठीक पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकहित को ध्यान में रखकर ये बड़ा फैसला लिया है। परसा कोल ब्लाक को निरस्त राज्य सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। वन महानिरीक्षक भारत सरकार को छत्तीसगढ सरकार की तरफ से लिखे पत्र में कहा गया है कि वन भूमि पर ओपन कोल माइंस के लिए दी गई स्वीकृति को रद्द करें।
परसा-ईस्ट-केते-बासेन कोल ब्लॉक विरोध
परसा-ईस्ट-केते-बासेन कोल ब्लॉक का विरोध ग्रामीण 2019 से कर रहे हैं। 2711 हेक्टेयर के इस कोल ब्लॉक एक्सटेंशन में 1898 हेक्टेयर जमीन फारेस्ट लैंड है। शेष 812 हेक्टेयर जमीन में 3 गांव के ग्रामीणों की भूमि एवं सरकारी जमीन शामिल हैं। राजस्थान के विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित परसा कोल ब्लॉक के डेवलेपमेंट एवं माइनिंग का ठेका अडानी इंटरप्राइसेस के हाथों में है। पहले चरण में परसा कोल ब्लाक के 1252 हेक्टेयर क्षेत्र से कोयला उत्खनन की अनुमति दी गई थी। इसमें 841 हेक्टेयर जंगल की भूमि एवं 365 हेक्टेयर भूमि कृषि ग्रामीण इलाके की तथा 45 हेक्टेयर भूमि सरकारी थी। इस ब्लॉक में निर्धारित अवधि 2027 थी, जहां 5 साल पहले 2022 में ही कोल उत्खनन कर लिया गया।
2711 हेक्टेयर क्षेत्र में कोल उत्खनन की मंजूरी
दूसरे चरण में परसा ईस्ट-केते-बासेन कोल ब्लॉक में कुल 2711 हेक्टेयर क्षेत्र में कोल उत्खनन की मंजूरी दी गई है। इसमें 1898 हेक्टेयर भूमि वनक्षेत्र एवं 812 हेक्टेयर भूमि गैर वनक्षेत्र है। इसमें परसा, हरिहरपुर, फतेहपुर व घाटबर्रा के ग्रामीणों की कृषिभूमि, मकान एवं गांव भी उत्खनन की चपेट में आएंगे। यह पूरा क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहां के ग्रामीणों का जीवन हमेशा जंगलों से जुड़ा रहा है। महुआ, साल, बीज के साथ वनौषधि से भरपूर इस क्षेत्र में लोगों को आजीविका जंगलों से मिलती है। ग्रामीणों का जुड़ाव जंगलों से इतना ज्यादा है कि वे जंगलों को कटने देने को तैयार नहीं हैं।