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Pegasus spy case: CJI ने पूछा- IT एक्ट के तहत शिकायत दर्ज क्यों नहीं कराई?….

नई दिल्ली। (Pegasus spy case) इजरायल के पेगासस जासूसी मामले में सड़क से लेकर संसद तक विपक्षी पार्टी सरकार पर हमलावर हो गई है. सुप्रीम कोर्ट में 9 अलग-अलग याचिका दायर की गई है. गुरुवार यानी की आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से सवाल किया. सुनवाई की शुरूआत में याचिका दायर करने वाले वकील एमएल शर्मा पर चीफ जस्टिस के सवालो का सवालो का सामना करना पड़ा. चीफ जस्टिस ने कहा कि वो पहले कपिल सिब्बल की बात सुनेंगे. (Pegasus spy case) क्यों कि उन्होंने अखबारों के कंटिग के आधार पर याचिका दायर किये हैं. फिर चीफ जस्टिस ने उनसे पूछा कि आपने याचिका दायर ही क्यों की हैं.

(Pegasus spy case) वरिष्ठ पत्रकार एन. राम की ओर से कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कोर्ट में कहा कि पेगासस जैसा सॉफ्टवेयर प्राइवेसी पर हमला हैं, जो कि संविधान के खिलाफ हैं.

चीफ जस्टिस ने कहा कि ये मामला दो साल पहले आया था, अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है. ऐसे में याचिका में ठोस तरीके से तथ्यों को शामिल किया जाना चाहिए था. चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि अभी तक किसी ने भी इस मामले में आपराधिक शिकायत क्यों नहीं की, ये आईटी एक्ट के तहत की जा सकती थी. कपिल सिब्बल की ओर से जानकारी दी गई कि कैलिफॉर्निया की कोर्ट में व्हाट्सएप ने केस दर्ज किया है. हमने उसका फैसला भी याचिका में दिया है, ये सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकारों को दिया जा सकता है किसी प्राइवेट कंपनी को नहीं

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‘सरकार को देना चाहिए जवाब’

याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने मांग करते हुए कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या उन्होंने ये सॉफ्टवेयर खरीदा और कहां पर इस्तेमाल किया. सरकार ने इस बात को माना है कि 121 स्पाइवेयर से प्रभावित यूज़र भारत में हैं. इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ सरकारें ही खरीद सकती हैं, जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि एक राज्य सरकार भी सरकार ही है. कपिल सिब्बल ने कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, ऐसे में सरकार को जवाब देना चाहिए.

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चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि 2019 में भी ऐसी रिपोर्ट्स थीं, आप दो साल बाद अचानक क्यों आए. जिसपर कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि हाल ही में हुए खुलासों से ये सब पता चला है. इसी सुबह पता चला कि कोर्ट के रजिस्ट्रार का भी फोन टैप हुआ है. चीफ जस्टिस ने कहा कि सच सामने आएगा, हमें अभी नहीं पता कि किसका नंबर था और किसका नहीं.

दर्जनों पत्रकार, कुछ केंद्रीय मंत्री और अन्य फील्ड से जुड़े लोगों को फोन हैक किए गए थे. इस मसले पर लगातार संसद में हंगामा हो रहा है और विपक्ष जांच की मांग कर रहा है.

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