
मनीष सरव़ैया@महासमुंद. आपको झरना, बहते पानी, सीलन और टूटते सीलिंग वाले महासमुंद जिला शिक्षा अधिकारी के उस कार्यालय से रूबरू कराएंगे, जहां एक महिला जिला शिक्षा अधिकारी बैठकर पूरे जिले की कमान संभालती हैं। और अपने चैंबर में बारिश की रफ्तार के अनुसार कुर्सी टेबल का स्थान बदलते रहने वाली जिला शिक्षा अधिकारी का अधिकांश समय सरकारी दस्तावेजों की सुरक्षा और कार्यालय आने वाले आगंतुकों को बैठाने की चिंता में ही बीत जाता है। जिला शिक्षा कार्यालय पर देखिये एक रिपोर्ट।
एक छोटे से कमरे में छत से जगह-जगह गिरता पानी, दीवारों पर लगे बिजली स्विच के ऊपर से बहता पानी का धार , बाल्टी लगाकर पानी को बहने से रोकने का प्रयास , अतिथियों की कुर्सियों पर कभी तेज, तो कभी बूंद बूंद गिरता पानी, सीलन भरे कमरे में टूटते सीलिंग वाला यह दफ्तर किसी छोटे-मोटे कर्मचारी का नहीं बल्कि महासमुंद जिले के जिला शिक्षा अधिकारी का सरकारी दफ्तर है। जहां बैठकर महिला जिला शिक्षा अधिकारी अतिथियों एवं अन्य अधिकारियों – कर्मचारियों से भेंट मुलाकात करती हैं। महासमुंद जिले के कुल 1955 प्राइमरी से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूलों का प्रबंधन और 2 लाख 23 हजार छात्रों के भविष्य गढ़ने का काम इसी दफ्तर में बैठकर तय होता है। जिले में शिक्षा विभाग के करीब 7500 शिक्षक और अन्य कर्मचारी भी अपनी समस्याओं के लिए इसी दफ्तर में निरंतर आते हैं। अब इस दफ्तर की दर्द भरी कहानी खुद जिला शिक्षा अधिकारी से सुन लीजिए।
जिला शिक्षा अधिकारी मैडम के कमरे के साथ – साथ पूरे दफ्तर की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। इस कार्यालय के अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर हैं। वहीं ढ़ेरों शासकीय कंप्यूटर और फाइलों की सुरक्षा करने में अधिकारी, कर्मचारियों का पूरा दिन बीत जाता है।