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Covaccine में गाय के बछड़े के सीरम का क्या है सच? केंद्र सरकार ने बताया

नई दिल्ली। कोवैक्सीन (Covaccine) में गाय के बछड़े के सीरम (क्लॉटेड ब्लड का हिस्सा) का इस्तेमाल का पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.आरटीआई एक्ट के तहत मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस नेता ने इस मामले को उठाया. इस भ्रांति को लेकर पहले कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने सफाई दी. अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन दावों को खारिज कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इन पोस्ट में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है और इन्हें गलत तरीके से पेश किया गया है.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) ने स्पष्ट किया है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम नहीं है. कंपनी ने भी ये कहा है कि सीरम का उपयोग वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में किया जाता है, लेकिन पूरी तरह तैयार हो जाने के बाद ये सीरम वैक्सीन (Serum Vaccine)  में नहीं रह जाता है.

मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर और गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है. इन पोस्ट में दावा किया गया है कि स्वदेशी रूप से विकसित कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम है.

बयान में कहा गया है कि नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल केवल वेरो कोशिकाओं को तैयार करने और इन्हें बढ़ाने के लिए किया जाता है. इसमें कहा गया है कि गोजातीय और अन्य जानवरों के सीरम आदर्श सामग्री की सूची में आते हैं और पूरी दुनिया में इनका इस्तेमाल वेरो सेल के विकास के लिए किया जाता है. आपको बता दें कि वेरो कोशिकाओं का इस्तेमाल सेल कल्चर (cell culture) में किया जाता है. इसके तहत कोशिकाओं को प्राकृतिक तरीके से अलग, एक खास परिस्थिति में विकसित किया जाता है.

वेरो कोशिकाओं का इस्तेमाल कोशिकाओं को जीवित करने में किया जाता है जो वैक्सीन के उत्पादन में मदद करते हैं. पोलियो, रेबीज और इन्फ्लूएंजा (Polio, Rabies and Influenza) की वैक्सीन बनाने में इस तकनीक का इस्तेमाल दशकों से किया जा रहा है.

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