छत्तीसगढ़बिलासपुर

एसीसी सीमेंट उद्योग के खिलाफ ग्रामीणों ने खोला मोर्चा, जनसुनवाई का किया विरोध, कलेक्टर को ज्ञापन सौंप लगाए गंभीर आरोप

मनीष@बिलासपुर। एसीसी सीमेंट उद्योग के विस्तार को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है, यही कारण है कि बिलासपुर छत्तीसगढ़ में इस उद्योग के विस्तार को लेकर लोगों ने इसके विरोध में मोर्चा खोल दिया है। 3 साल पहले भी इस उद्योग को स्थापित करने का जमकर विरोध किया गया था, जनसुनवाई में ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बावजूद भी उद्योग अस्तित्व में आ गया। इस बार फिर उद्योग के विस्तार के लिए जल्द ही जनसुनवाई आयोजित होनी है, जिसके लिए जिला प्रशासन स्तर पर जरूरी तैयारियां सुनिश्चित की जा रही है,

वहीं दूसरी तरफ इस उद्योग के प्रभाव में आने वाले विद्याडीह व अन्य ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। जिला प्रशासन पर जनसुनवाई को लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं। आरोप यह भी है की अधिकृत नोटिफिकेशन 45 दिन के भीतर होने वाली जनसुनवाई को लंबे समय तक टाला गया है।

विस्तार को लेकर अक्सर होती है राजनीति

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में उद्योगों के विस्तार को लेकर अक्सर राजनीति होती रहती है, कभी उद्योगों के लिए सरकारी और निजी जमीनों को अधिग्रहित कर लिया जाता है तो, कभी इन्हीं उद्योग के विस्तार के विरोध में ग्रामीण सड़कों पर उतर आते हैं ।

एसीसी सीमेंट उद्योग के विस्तार के लिए जन सुनवाई


मामला इन दिनों बिलासपुर शहर के मस्तूरी क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। जहां एसीसी सीमेंट उद्योग के विस्तार के लिए जन सुनवाई होनी है। यह जनसुनवाई 3 नवंबर 2022 को रखी गई है। वही जनसुनवाई के पूर्व ईआईए रिपोर्ट जारी कर दिया गया है। जिसमें कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर त्रुटि है !

कई तालाब और गोचर जिनका उल्लेख एआईए रिपोर्ट में नहीं

ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में कई तालाब और गोचर हैं जिनका उल्लेख एआईए रिपोर्ट में नहीं किया गया है, ग्रामीण क्षेत्रों में इन संसाधनों की गैरमौजूदगी में पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित होगा और इकोसिस्टम प्रभावित होने की पूरी संभावना है । इन सब को नजरअंदाज कर जिला प्रशासन मनमाने ढंग से जनसुनवाई कर उद्योग के विस्तार करने में लगा हुआ है। प्रभावित गांव में रहने वाले रामनाथ जीतपुरे जैसे ग्रामीणो ने यह साफ कर दिया है कि, उद्योग के विस्तार और जन सुनवाई को लेकर जिस तरह से प्रशासनिक अमला अपनी भूमिका सुनिश्चित कर रहा है उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह जनता के हित में निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में उन्होंने जिला कलेक्टर सौरभ कुमार का खुले शब्दों में विरोध किया है। साथ ही उन्होंने अपने ज्ञापन के माध्यम से मांग किया है कि जल्द से जल्द इस जनसुनवाई को रद्द कर दिया जाए।

Related Articles

Back to top button