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हाय रे मुसीबत: सिर पर बड़े बर्तन रख झिरिया से पानी भरने को मजबूर ग्रामीण …प्रशासन बेखबर

बिपत सारथी@गौरैला पेंड्रा मरवाही। जिले के मरवाही क्षेत्र के एक वनांचल गाँव सेमरदर्री का आश्रित ग्राम है बगैहा टोला,जहां 75 प्रतिशत आबादी पंडो जनजाति निवास करती है, पण्डो एक ऐसा समुदाय है, जो आज भी घरों में तीर धनुष को सहेज कर रखते हैं,पंडो विशेष पिछड़ी जनजाति व राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाते हैं। लेकिन मूलभूत सुविधाओं से दूर इनकी दुर्दशा को कोई भी नेता जनप्रतिनिधि अधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं।

इस गाँव में पीने के पानी की व्यवस्था अब तक नही हो सकी है,यहां के ग्रामीण नाले व झिरिया के गंदे पानी को पीने के लिए मजबूर है.लोग पहाड़ों के उबड़ खाबड़ रास्तों पर दो किमी पैदल चलकर पानी लेने जाते हैं,बरसात का सीजन शुरू हुआ है, लेकिन फिर भी बारिश के बाद गर्मी कम नहीं हुआ है।

बरसात और गर्मी की उमस व तपती धूप में महिलाएं सिर पर बड़े बड़े बर्तन लेकर झिरिया से पानी लेने पहुंचते हैं,झिरिया जो मिट्टी की मेड़ से बनी है,जिसमे जमीन से पानी रिस कर आता है,व इधर उधर का पानी यहीं जमा होता है,देखने मे मटमैला पानी किसी हाल में पीने लायक तो नजर नही आता,लेकिन मजबूरी ऐसी की जीने के लिए इस पानी को ही पीना होगा,इसी गांव के दूसरे मोहल्ले में एक कुंआ है,और कुएं की गहराई बमुश्किल 10 फिट होगी, कम गहराई की वजह से कुएं में जो पानी है वह भी पूरी तरीके से गंदा ही होता है,जिसमे एक परिवार का जीवन यापन भी मुश्किल है, कुंआ गर्मी में पूरी तरह से सूख जाता है,और ऐसे में परिवारों के बीच पानी भरने के लिए द्वंद भी शुरू हो जाता है,जिसके बाद इनके पास भी झिरिया का गंदा पानी पीने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है,इस पूरे गांव में पानी की एक एक बूंद के लिए मारामारी है।

लोगों का कहना है जिम्मेदार लोगों से शिकायत करने के बाद भी यहां के हालात नहीं सुधरे हैं. सरपंच से लेकर कलेक्टर तक समस्या को मौखिक व लिखित तौर पर दी जा चुकी है,, कई बड़े अधिकारी इस गांव तक पहुंचे है,उनके द्वारा कुछ ही दिनों में हालत ठीक करने आश्वाशन दिया जाता है,मगर कोई समाधान नही किया जाता,गांव के छोटे बच्चो को देखकर साफ पता चलता है की गांव में इतने दूर से लाई गई गंदे पानी के पीने से बच्चो के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा रहा है,बच्चों में कुपोषण साफतौर पर देखा जा सकता है।

जंगल पहाड़ों को पार कर झिरिया तक पहुंचने के दौरान ग्रामीणों को भालू व हाथियों का डर भी बना रहता है ,यह क्षेत्र भालू व जंगली जानवरों से भरा पड़ा है, व हाथी मरवाही वन मंडल में इन्हीं क्षेत्रों से अंदर आता है, ऐसे में जान जोखिम में डालकर पानी की झिरिया तक पहुंचाना इनके लिए हमेशा ही खतरों से भरा होता है।

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