संदेश गुप्ता@धमतरी। कलेक्टर पीएस एल्मा ने अपने ही द्वारा जारी एक अति महत्ववपूर्ण आदेश से किनारा कर लिया, पहले लिखित आदेश में पूरे धमतरी जिले को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया, बाद में अपने बयान में पलट गए, जिससे भ्रम की स्थिति बन गई है।
किसी भी जिले में कलेक्टर सबसे बड़ा अधिकारी होता है, कलेक्टर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट भी होता है, उसका एक आदेश से जिले के किसी भी दूसरे आदेश पर भारी होता है… और यही वजह है कि कलेक्टर को हर आदेश सोच समझ कर लेना होता है, लेकिन अगर कलेक्टर को अपने ही आदेश से पीछे हटना पड़े और सफाई देनी पड़ जाए तो ये किसी भी कलेक्टर के लिए अच्छी स्थिति नही कही जा सकती, धमतरी कलेक्टर पीएस एल्मा के साथ ऐसा ही कुछ हो गया, 28 अप्रैल को जिलाधिकारी कार्यालय से आदेश क्रमांक 27 जारी होता है,चार बिंदुओं के इस आदेश पत्र में पहले ही बिंदु की अंतिम लाइन में स्पष्ट लिखा गया है कि “मैं पी एस एल्मा, कलेक्टर जिला धमतरी पूरे धमतरी जिले को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित करता हूं” ,
इसके बाद आदेश के दूसरे बिंदु में जल स्तोत्रों से बिना अनुमति पानी लेने पर प्रतिबंध लगाया गया है” तीसरे बिंदु में जल परिरक्षण अधिनियम 1986 के नियम कायदों का हवाला देते हुए अंत मे कलेक्टर के दस्तखत हैं। इस आदेश के आने के बाद कई सवाल खड़े हुए और धमतरी जिले में हड़कंप सा मच गया, और ये स्वाभाविक भी था, क्योंकि जहाँ गंगरेल सहित चार चार बांध हो, जिस धरती में प्रदेश की सबसे बड़ी महानदी का उद्गम हो, वो जिला जल अभाव ग्रस्त कैसे हो सकता है.?? इन्ही सब सवालों के साथ जब हम कलेक्टर पीएस एल्मा से मुखातिब हुए ।
कलेक्टर महोदय ने अपने जवाब से हैरान कर दिया, उनका साफ साफ कहना था कि इस आदेश का गलत अर्थ निकाला जा रहा है, वो बोले कि जिले के कुछ इलाकों में भूजल स्तर गिर चुका है भविष्य में इसके और गिरने का खतरा है जिसे देखते हुए ये आदेश जारी किया गया है, बार बार सवाल करने के बाद भी वो अपने लिखित आदेश से अलग ही बात कर रहे थे.. एक ही अधिकारी लिखे अलग और बोले कुछ और तो भ्रम पैदा होना लाजमी है, अब ये समझ से परे है कि धमतरी कलेक्टर की लिखी हुई बात को माने या कही हुई बात को..??