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छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में 22 आबकारी अफसरों की बढ़ी मुश्किलें, अग्रिम जमानत पर 18 जुलाई को सुनवाई

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आरोपी बनाए गए 22 आबकारी अधिकारियों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। गिरफ्तारी की आशंका से घिरे इन सभी अधिकारियों ने रायपुर स्थित विशेष न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है। कोर्ट में इन अर्जियों पर सुनवाई 18 जुलाई को निर्धारित की गई है।

इस बीच, बेमेतरा के जिला आबकारी अधिकारी प्रमोद कुमार नेताम की याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी थी, मगर अब उनकी याचिका पर भी 18 जुलाई को ही सुनवाई होगी। नेताम समेत इन सभी अफसरों पर आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने शराब घोटाले में सिंडिकेट का हिस्सा होने और 88 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई का गंभीर आरोप लगाया है।

EOW द्वारा अदालत में दाखिल विस्तृत चार्जशीट के मुताबिक, इन अधिकारियों ने शराब की आपूर्ति, कोटा वितरण और फर्जी बिलिंग के जरिए करोड़ों का घोटाला किया। जांच एजेंसी का दावा है कि अफसरों की मिलीभगत से सिंडिकेट ने राज्य में शराब कारोबार पर नियंत्रण रखा और सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर मोटी कमाई की।

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?

यह घोटाला भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की जांच कर रही है। ED की जांच और दर्ज एफआईआर के मुताबिक, घोटाले का आंकड़ा 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। ED ने आरोप लगाया है कि तत्कालीन समय में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर ने मिलकर एक सिंडिकेट खड़ा किया, जिसने शराब बिक्री, फर्जी बिलिंग और लाइसेंस आवंटन के जरिए करोड़ों की अवैध कमाई की। अब अदालत में होने वाली सुनवाई पर सबकी नजर है, क्योंकि इसका असर घोटाले से जुड़े पूरे मामले की दिशा और अफसरों के भविष्य पर पड़ सकता है।

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