
बिलासपुर। केंद्र सरकार और राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से अगली सुनवाई तक हसदेव में किसी पेड़ की कटाई नहीं करने का वादा किया गया है। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद-ICFRE की अध्ययन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। ICFRE ने दो भागों की इस रिपोर्ट में हसदेव अरण्य की वन पारिस्थितिकी और खनन का उसपर प्रभाव का अध्ययन किया है। उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ और हिमा कोहली की बेंच के सामने किया गया। यह बेंच हसदेव में कोयला खदानों के लिए वन भूमि आवंटन को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर रही है।
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह रिपोर्ट पेश करने के लिए कुछ और समय देने की मांग की। उन्होंने कहा, इसकी अगली तारीख दिवाली की छुट्टी के बाद और संभव हो तो 13 नवंबर के बाद दी जाए। याचिकाकर्ताओं में से सुदीप श्रीवास्तव की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और अधिवक्ता नेहा राठी ने कहा, सुनवाई आगे बढ़ाने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन तब तक केंद्र सरकार और राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की ओर से आगे किसी पेड़ की कटाई नहीं होनी चाहिए। उसके बाद केंद्र सरकार और राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से कहा गया, अगली सुनवाई तक हसदेव में किसी पेड़ की कटाई नहीं करेंगे। इसके साथ ही न्यायालय ने सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने का निवेदन स्वीकार कर लिया।
पहले ही साफ कर चुके हैं 43 हेक्टेयर जंगल
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम और स्थानीय प्रशासन ने 27 सितम्बर को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में वनों की ताजी कटाई शुरू करा दी थी। स्थानीय ग्रामीणों को हिरासत में ले लिया गया था। दो दिन पहले तक पेण्ड्रामार के पास 43 हेक्टेयर क्षेत्र में साल के सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को काटकर जमीन समतल की जा चुकी थी। महाराष्ट्र सरकार ने ठीक ऐसा ही काम आरे जंगल की कटाई में किया था। सर्वोच्च न्यायालय में कटाई पर रोक की याचिका पर सुनवाई हुई तो सरकार ने कहा, जितना पेड़ काटना था उतना तो काट चुके हैं। अब वहां पर शेड बनाने की अनुमति दे दी जाए।