पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली हमारी सांस्कृतिक पहचान और जनसेवा की धरोहर : सीएम साय

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली हमारी सांस्कृतिक पहचान और जनसेवा की अनमोल धरोहर है। वे बुधवार 8 अक्टूबर को राजधानी रायपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित राज्य स्तरीय परंपरागत वैद्य सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह आयोजन छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड द्वारा किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सभी पंजीकृत वैद्यों को प्रशिक्षण देकर पंजीयन प्रमाणपत्र प्रदान करेगी, ताकि उन्हें अपने कार्य के दौरान किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। उन्होंने पद्मश्री हेमचंद मांझी का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका कार्य न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 60 से 70 हजार वैद्य हैं, जिनमें से 1,500 छत्तीसगढ़ में सक्रिय हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ को “हर्बल स्टेट” के रूप में पहचान मिली है, जहां डेढ़ हजार से अधिक औषधीय पौधे पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि दुर्ग जिले के पाटन में औषधीय पौधों से अर्क निकालने का कारखाना स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए पृथक आयुष मंत्रालय का गठन कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सरकार क्लस्टर आधारित मॉडल पर कार्य कर रही है, ताकि स्थानीय वैद्यों को रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण से जोड़ा जा सके। कार्यक्रम में 25 वैद्यों को औषधीय पिसाई मशीनें वितरित की गईं और दुर्ग वन वृत्त के परंपरागत उपचारों पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक वैद्यों का योगदान समाज, स्वास्थ्य और प्रकृति के संरक्षण के लिए अमूल्य है। राज्य सरकार इस धरोहर को सहेजने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।