रजत-जयंती वर्ष में सुशासन की दिशा, छत्तीसगढ़ में ई-रजिस्ट्री प्रणाली का नया अध्याय

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने रजत-जयंती वर्ष में सुशासन को नई दिशा देने के उद्देश्य से भूमि-रजिस्ट्री और दस्तावेज़ पंजीकरण प्रक्रिया में ऐतिहासिक सुधार किया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में लागू की गई ई-पंजीयन/ई-रजिस्ट्री प्रणाली नागरिकों को पारदर्शी, तेज़ और सरल सेवा उपलब्ध कराने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। भूमि पंजीकरण, जो पहले लंबी कतारों, कागजी कार्रवाई, दलाल प्रथा और देरी से जुड़ा था, अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बेहद आसान हो गया है।
नई ई-रजिस्ट्री प्रणाली NGDRS आधारित e-Panjeeyan पोर्टल पर संचालित है, जिसमें ऑनलाइन आवेदन, डिजिटल भुगतान, ऑटो-डीड जनरेशन, बायोमेट्रिक सत्यापन, आधार लिंकिंग और रियल-टाइम स्टेटस ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इससे अब नागरिक घर बैठे ही शुल्क की गणना, दस्तावेज तैयार और रजिस्ट्री प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन यह है कि पंजीकरण के तुरंत बाद ऑटो-म्यूटेशन की दिशा में काम शुरू हो चुका है, जिससे जमीन रिकॉर्ड अपडेट में लगने वाली देरी समाप्त हो रही है।
मुख्यमंत्री साय ने इसे सिर्फ तकनीकी सुधार नहीं बल्कि सुशासन और नागरिक-सशक्तिकरण का मॉडल बताया है। 104 सब-रजिस्टार ऑफिसों में से 19 को मॉडल SRO के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां आधुनिक नागरिक सुविधा केंद्र, टोकन सिस्टम और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की व्यवस्था होगी।
ई-रजिस्ट्री से मिडलमैन की निर्भरता कम हुई है, भ्रष्टाचार के अवसर सीमित हुए हैं और ग्रामीण-आदिवासी क्षेत्रों में भी डिजिटल सेवाओं की पहुंच बढ़ी है। दंतेवाड़ा जैसे जिलों में रिकॉर्ड को ब्लॉकचेन पर सुरक्षित करने जैसे कदम इसे तकनीकी क्रांति का स्वरूप देते हैं।
रजत-जयंती वर्ष में शुरू हुई यह पहल साबित करती है कि छत्तीसगढ़ अब पारदर्शी, डिजिटल और उत्तरदायी शासन की ओर तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। जहां नागरिक केंद्र में है और सरकारी तंत्र उसके लिए अधिक सुगम, सुरक्षित और सुलभ बन रहा है।





